जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने विभिन्न जिलों में कार्यरत 86 स्कूल व्याख्याताओं का राजनीतिक प्रभाव के चलते भरतपुर जिले में तबादला करने पर प्रमुख शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक सहित अन्य से जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने तबादला आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश लोकेश वर्मा व अन्य की याचिका पर दिए.


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याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग ने गत तीस नवंबर को प्रदेश के विभिन्न जिलों में कार्यरत 86 स्कूल व्याख्याताओं का एक सामान्य आदेश जारी कर भरतपुर जिले की विभिन्न स्कूलों में तबादला कर दिया. जबकि इन तबादलों की कोई प्रशासनिक आवश्यकता नहीं थी.


वहीं, सामान्य स्कूलों में कार्यरत कई व्याख्याताओं का तबादला महात्मा गांधी स्कूलों में भी कर दिया गया. जबकि अंग्रेजी माध्यम की इन स्कूलों के लिए चयन साक्षात्कार के जरिए किया जाता है. वहीं इनमें कई ऐसे स्कूल व्याख्याआ भी हैं, जो चुनाव प्रक्रिया में लगे हुए हैं और इनका तबादला करने से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त से भी अनुमति नहीं ली गई.


याचिका में कहा गया कि विभाग ने राजनीतिक प्रभाव के चलते इन व्याख्याताओं का एक ही जिले में तबादला किया है. ऐसे में तबादला आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने तबादला आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.


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अधिकरण के एकपक्षीय आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, मांगा जवाब


राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल व्याख्याता के तबादले के मामले में सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण के आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक सहित अन्य से जवाब तलब किया है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश डॉ. महिपाल सिंह की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता धर्मेन्द्र शर्मा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने स्कूल व्याख्याता याचिकाकर्ता का भीलवाड़ा के झाडोल से सीकर के पलसाना में गत दस अक्टूबर को तबादला कर दिया.


अधिकरण ने तबादले पर रोक लगा दी


वहीं,  पलसाना की स्कूल में कार्यरत अन्य व्याख्याता अरविन्द कुमार को झाडोल में ट्रांसफर कर दिया. आदेश की पालना में याचिकाकर्ता ने 13 अक्टूबर को पलसाना स्कूल में कार्यग्रहण कर लिया. याचिका में कहा गया कि कार्यग्रहण करने के करीब डेढ़ माह बाद अरविन्द कुमार ने अपने तबादला आदेश को राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण में चुनौती दी. इसका प्रारंभिक स्तर पर ही निस्तारण करते हुए अधिकरण ने उसके तबादले पर रोक लगा दी और उसे विभाग में अभ्यावेदन पेश करने को कहा.


याचिका में कहा गया कि दूसरे व्याख्याता ने याचिकाकर्ता के पद ग्रहण करने के डेढ़ माह बाद अधिकरण में अपील पेश की थी. इस अपील में याचिकाकर्ता को भी पक्षकार बनाया गया था, लेकिन अधिकरण ने याचिकाकर्ता का पक्ष नहीं सुना और प्रारंभिक स्तर पर ही उसकी अपील का निस्तारण कर दिया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अधिकरण के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.


Reporter- mahesh pareek