25 सितंबर को राजनीतिक घटनाक्रम से नाराज हुए अजय माकन के इस्तीफे के बाद सुखजिन्दर रंधावा को कांग्रेस प्रभारी बनाया गया है. देखना दिलचस्प होगा कि रंधावा राजस्थान कांग्रेस में चल रही गुटबाजी को खत्म कर एक मंच पर लाने में कामयाब होते हैं या फिर कांग्रेस नेता अपना अलग-अलग ही सुर अलापते रहेंगे.
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जयपुर: राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा 27 दिसंबर रात तक जयपुर आएंगे और वह 28, 29 और 30 दिसंबर की दोपहर तक जयपुर ही रहेंगे. बुधवार 28 दिसंबर को होने वाले राजस्थान कांग्रेस के अधिवेशन के तुरंत बाद प्रभारी रंधावा राजस्थान की नब्ज टटोलने का काम शुरू कर देंगे.
इसके तहत रंधावा सबसे पहले दोपहर ढाई बजे पीसीसी के पूर्व प्रदेश अध्यक्षों, नेता प्रतिपक्ष, पूर्व सांसदों, पूर्व विधायकों और साल 2018 में विधानसभा चुनाव हारने वाले प्रत्याशियों के साथ लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी रहे नेताओं से मुलाकात करेंगे. इस दौरान रंधावा की सबसे महत्वपूर्ण बैठक पार्टी के विधायकों के साथ होगी. यूं तो 28 दिसम्बर को ही रंधावा और विधायक पार्टी के अधिवेशन में एक साथ होंगे. लेकिन विधायकों के साथ रंधावा की अलग से मुलाकात 29 दिसम्बर को संभावित है.
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तीन दिन प्रदेश कांग्रेस में रहेगी हलचल
कांग्रेस कैम्प में अगले तीन दिन भारी हलचल वाले होंगे. प्रदेश प्रभारी के रूप में सुखजिंदर सिंह रंधावा अपने पहले आधिकारिक दौरे पर पार्टी के विधायकों से भी मिलना चाहते हैं. लेकिन कांग्रेस के भीतर ही अलग-अलग कैम्प इस बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि प्रभारी की विधायकों से मुलाकात किस रूप में कराई जाए? सवाल यह है कि इस बैठक को विधायक दल की बैठक का रूप दिया जाए? या फिर प्रभारी से विधायकों की वन टू वन मुलाकात कराई जाए.
25 सितम्बर को आहूत होने के बावजूद नहीं हुई थी विधायक दल की बैठक
आलाकमान का कोई प्रतिनिधि विधायकों से करेगा अलग से चर्चा
यूं तो आगामी बजट सत्र में कांग्रेस विधायक दल की बैठक होनी है, लेकिन पिछली बैठक के बाद से इन्तज़ार ज्यादा लम्बा हो गया है. तकरीबन तीन महीने पहले 25 सितंबर को कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन यह बैठक नहीं हो सकी. उसी दिन पार्टी के विधायकों के एक बड़े समूह ने विधानसभा अध्यक्ष के घर पहुंचकर उन्हें अपने इस्तीफ़े सौंप दिए थे. विधायकों के इस्तीफा प्रकरण के बाद यह पहला मौका होगा जब कांग्रेस आलाकमान का कोई प्रतिनिधि विधायकों से अलग से चर्चा करेगा.
हालांकि, कहा यह भी जा रहा है कि रंधावा के आने के बाद आधिकारिक तौर पर विधायक दल की बैठक बुलाकर एकजुटता का संदेश देने की कोशिश हो सकती है. विधायकों के साथ रंधावा की अलग से बैठक को अनौपचारिक रूप से विधायक दल की बैठक ही माना जा रहा है. सवाल यह है कि क्या इस बैठक के जरिए रंधावा कांग्रेस विधायकों का मन टटोलेंगे? और अगर वाकई प्रदेश प्रभारी विधायकों का मन टटोलने का मानस रखते हैं तो फिर सवाल यह भी कि क्या सभी विधायक प्रभारी से मिलेंगे?