Uniform Civil Code: यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर देश में चर्चा तेज है. ये एक ऐसी पहेली है जिसे देश का कोई भी सियासतदान आज तक नहीं सुलझा पाया. इसको लेकर कई बातें हुई, कानून बनें, फिर कानूनों में संशोधन हुए या फिर कानून बनाकर यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) को लागू होने से ही रोक दिया गया. लेकिन आज कल मुसलमानों को लेकर  यूनिफॉर्म सिविल कोड  पर जो संश्य के बादल बने है. उसे लेकर लुधियाना पंजाब के शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी  ने भी अपनी बात रखी है.


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 शायरी से की शुरूआत
शाही इमाम ने इस बारे में बात करते हुए एक शेर से इस मुद्दे पर रोशनी डाली है. उन्होंने कहा 'खुदाया ये तेरे सादा दिल बंदे किधर जाए,कि सुल्तानी भी अय्यारी है और दुर्वेशी भी अय्यारी.' कहने का आश्य यह है कि सादा मुस्लमान जाए कहा. सियासतदान भी हमसे खेल कर रहे है और मौल्वी-  मुल्ला भी तो ये मुसलमान बंदो का क्या होगा. पिछले 15 दिन से अलग अलग जगहों पर वाट्सएप आदि पर यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर माहौल बना दिया है. कि अगर यह कॉमन सिविल कोड आ गया है तो मुस्लमानों को काफी परेशानी उठानी पड़ेगी. जिसकी आग सियासती गलियों मे दिख रही है.


'बी' पार्टी  वालों ने बनाया माहौल
 उन्होंने कहा कि वह इस वक्त अपने संदेश में बात यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने वालों की बात नहीं, बल्कि इस पर गलतफहमी फैलाने वालों की कर रहे है, क्योंकि जब भी मुसलमान पर कोई परेशानी पड़ती है तो वह अपने अधिकारों को केवल निकाह  और तलाक के मुद्दों पर ही सीमित रखते है, लेकिन अब पीछे से कॉमन सिविल कोड के जरिए मुसलमानों के खिलाफ  इन्हीं लोगों ने एक माहौल बना दिया कि मुसलमान इससे लेकर काफी डरा है लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि अभी तक इस बारे में सिर्फ वहीं बोल रहे है  जिनकी सियासत 'बी' पार्टी से चलती है.


शाही इमामों से सवाल
वहीं साथ  ही मस्जिदों को शाही इमामों को लेकर भी कहा कि जुम्मे की नमाज में अगर इमा मयूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर खतरा बताता है तो  उसे अपनी  कुर्सी पर खतरा महूसस होता है. यही नहीं सबको लगा था कि लुधियाना से संदेश आएगा की सड़कों पर हक के लिए उतरे लेकिन जिस कानून को अभी तक अमलीजामा ही नहीं पहनाया गया है उससे खिलाफ होव्वा बना दिया है. 


लीडर 'पोलराइजेशन' की कर रहे है राजनीति
इतना ही नहीं इमाम ने मुलमानों को अपने संदेश में यह भी कहा है कि जो लीडर 'पोलराइजेशन' की राजनीति कर अपनी रोटियां सेकर रहे है, उनके पीछे चलने की जरूरत नहीं है. क्योंकि साथ वो होता है जो सुख दुख दोनों में रहे. जिस कोड को लेकर इतनी बहस और चर्रचाएं हो रही है उस पर तो अभी तक इस बात पर विचार ही नहीं हुआ कि वो आखिर है  क्या ? 


 मुस्लिम आबादी 18 या 20 करोड़ की
 यह केवल मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि देश के 140 करोड़ लोगों के लिए बनाया जाएगा. और मुस्लिम आबादी 18 या 20 करोड़ की . तो इसे लेकर अफवाहें न उड़े. क्योंकि यूसीसी बनने से पहले सभी धर्मों से इस पर राय ली जाएगी . फिर  सरकार इस पर कोई ड्राफ्ट लाएगी की नहीं. क्योंकि पार्लियामेंट में ड्राफ्ट पेश होने के बाद उसमें यह जरूर बताया जाएगा की किस जाति या धर्म के रिवाज उसमें शामिल होंगे और कौन से नहीं , जब अभी ऐसा कुछ नहीं हुआ है तो हंगामा क्यों. 


लॉ कमिशन ने  मांगी थी राय
लॉ कमिशन ने इसे लेकर सभी धर्मों सहित आपसे राय मांगी है तो इस पर राय दें. बवंडर न फैलाए.  क्योंकि इस राय के बाद ऐसा लगने का कहा मुस्लिम और गैर- मुस्लिम में लड़ाई तैयार हो गई है. अभी तक किसी को नहीं मालूम की है क्या सिविल कोड़.


क्या है सिविल कोड़ 
सल में यूनिफॉर्म सिविल कोड सामाजिक मामलों से संबंधित एक कानून होता है जो किसी भी पंथ या मजहब के लोगों के लिए शादी, तलाक, विरासत या बच्चा गोद लेने आदि में समान रूप से लागू होता है. आसान शब्दों में कहें तो जिस देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाता है वहां अलग-अलग पंथों के लिये अलग-अलग सिविल कानून नहीं होते. यानी देश के हर नागरिक पर एक ही कानून लागू होगा जो किसी भी पंथ जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है. 


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