Brahmins : जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ तो असुर गुरु शुक्रदेव असुरों के तरफ थे. देवता चाहें कितनी भी कोशिश करते लेकिन मारे गए असुरों को शुक्रदेव फिर से जीवित कर देते थे. दरअसल शुक्रदेव को महामृत्युंजय मंत्र की जानकारी थी और इसी का इस्तेमाल कर वो असुरों को जीवनदान दे रहे थे.


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ऐसे में देवताओं के गुरु बृहस्पति के बेटे कच्छ, देवताओं की मदद के लिए आगे आए. कच्छ ने शुक्रदेव का छात्र बनने की इच्छा जतायी. जिसे शुक्र देव ने मान लिया. शुक्र देव की कन्या देवयानी और कच्छ अच्चे मित्र बन गये.


देवयानी मन ही मन कच्छ को पसंद करती थी. लेकिन असुरों को भान हो गया था कि कच्छ सिर्फ शुक्रदेव से उस जादूई मंत्र को हासिल करना चाहते हैं. जिससे हम जीवित होते हैं. इसलिए असुरों ने चाल चली और कच्छ को मार डाला और शुक्रदेव से कहा की भेड़िया कच्छा को खा गया.


जब देवयानी को पता चला तो वो रोने लगी . शुक्रदेव ने अपनी बेटी से रोने का कारण पूछा और फिर महामृत्युंजय मंत्र का जप कर फिर से कच्छ को जिंदा कर दिया. कच्छ भेड़िए के पेट को चीर कर बाहर आ गये.


असुरों ने फिर से कच्छ को मारने के लिए रणनीति बनायी और अबकी बार कच्छ जब नदी में स्नान करने गये तो असुरों ने उन्हे मार दिया और फिर उनकी राख को समुद्र में मिला दिया. जब काफी देर तक कच्छ नहीं लौटे तो देवयानी फिर रोई और फिर से शुक्रदेव में महामृत्युंजय मंत्र से कच्छ को जीवनदान दिया.


इस बार असुरों ने कच्छ को मार कर उसकी राख को मादक में मिला दिया और फिर इसे शुक्रदेव को पिला दिया. फिर देवयानी रोई इस बार जब शुक्रदेव ने मंत्र पढ़ा तो उसको पता चल गया कि कच्छ उनके ही पेट में हैं.


शुक्रदेव को पता था अगर वो महामृत्युंजय मंत्र का जप करेंगे तो कच्छ को बच जाएंगे लेकिन उनकी मृत्यु निश्चित है. इसलिए उन्होने पेट में ही कच्छ को महामृत्युंजय मंत्र सिखा दिया. जिसे पढ़ कर कच्छ  बाहर आ गये और शुक्रदेव की मृत्यु हो गयी.


कच्छ ने बाहर आकर मंत्र का जप किया और शुक्रदेव को जिंदा कर दिया. अब देवयानी ने कच्छ से विवाह की इच्छा जतायी तो कच्छ ने मना कर दिया. कच्छ ने कहा कि मेरा पुनर्जन्म तुम्हारे पिता के गर्भ से हुआ है तो मैं तुम्हारा भाई हुआ. मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता है. जिससे गुस्साई देवयानी ने कच्छ को श्राप दे दिया कि जो मंत्र तुमने सीखा है वो कभी प्रभावी नहीं होगा. ये सब कुछ शुक्रदेव के मदिरा पान के चलते हुआ था . इसलिए शुक्रदेव ने ब्राह्मणों से मदिरा पान कभी नहीं करने को कहा.


(डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है. जिसकी ZeeMedia पुष्टि नहीं करता है)