Jaipur News : जेल से बाहर आने के साथ ही बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने अब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में पहुंचकर उन्हें अपनी मांगों का ज्ञापन देने का ऐलान कर दिया है. उपेन यादव ने 2016 के जिस मुकदमे में उन्हें गिरफ्तार किया गया उसे झूठा और षड्यंत्र बताते हुए कहा कि वो अंतिम सांस तक युवा बेरोजगारों के लिए संघर्ष करते रहेंगे. साथ ही दोबारा झूठे मुकदमे में जेल में डालने की आशंका भी व्यक्त भी जताई. वहीं झूठे मुकदमे के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने और 9 फरवरी को न्याय और युवा जागृति रैली निकालने की भी घोषणा उपेन यादव ने कर दी है.


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गौरतलब है की 2016 में एक ठगी से जुड़े मामले को लेकर 19 नवम्बर को उपेन यादव को पुलिस द्वारा सरदारशहर चूरू से हिरासत में लिया गया था,,तो वहीं 20 नवम्बर दोपहर बाद श्याम नगर थाना पुलिस ने उपेन यादव की गिरफ्तारी दिखाई थी. ,राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेन यादव को 10 दिन बाद मंगलवार शाम जेल से रिहाई मिली. अपनी रिहाई के बाद उपेन ने कांग्रेस सरकार पर सवाल खड़े करते हुए निशाना साधा,,उपेन यादव ने कहा कि बेवजह जेल भेजा गया. लेकिन वो डरने वाले नहीं हैं. आगे भी बेरोजगारों के हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे. चाहे इसके लिए जान ही क्यों ना देनी पड़े. और अब वो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में पहुंचकर उन्हें भी अपनी मांगों का ज्ञापन देंगे.


हालांकि उपेन यादव ने स्पष्ट कर दिया कि भारत जोड़ो यात्रा में जाने से पहले वो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर ना सिर्फ उनके वादे याद दिलाएंगे, साथ ही इस बार उन्हें गिरफ्तार किए जाने के घटनाक्रम से भी अवगत कराएंगे. उपेन यादव ने कहा कि 22 घंटे अवैध रूप से हिरासत में रखने, झूठे मुकदमे में फंसाने और छवि को धूमिल करने के चलते मानहानि का दावा करते हुए हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएंगे. इसके बाद 9 फरवरी को न्याय और युवा जागृति रैली निकाली जाएगी.


उपेन ने खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे षड्यंत्र करार देते हुए कहा कि जिस मुकदमे में उन्हें गिरफ्तार किया गया है. उससे उनका कोई लेना-देना ही नहीं है. उनके भाई मुकेश यादव के खिलाफ साल 2016 में एक ऐसे व्यक्ति ने एफआईआर दर्ज कराई है. जिसके खिलाफ कई मुकदमे लंबित है. जिसमें मुकेश को गिरफ्तार कर लिया गया था. लेकिन कुछ वक्त बाद ही उनकी जमानत भी हो गई थी. साल 2020 में मुकेश यादव के खिलाफ चालान पेश किया गया. जिसमें तीन के खिलाफ अनुसंधान लंबित रखा गया था. उनका का नाम ना तो एफआईआर में था और ना ही अनुसंधान में फिर भी उन्हें आरोपी बनाया गया.


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