vehicles VIP number: एक सामान्य व्यक्ति अपने पूरे जीवन में एक अच्छा घर बनवाना चाहता है और फिर उसका सपना होता है कि वह एक गाड़ी खरीदे. वह किश्तों की मदद से अपने सपने को पूरा करता है और फिर EMI के जरिए गाड़ी को खरीदने का सपना पूरा करता है. लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो गाड़ी से ज्यादा उस पर लगने वाले नंबरों को ज्यादा महत्व देते हैं. कहा जाता है कि शौक बड़ी चीज है और इसी शौक को पूरा करने के लिए कुछ लोग गाड़ी से ज्यादा नंबरों पर खर्च कर देते हैं.


नंबरों पर लगभग 20 लाख रुपये से ज्यादा खर्च 


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जयपुर के झालाना आरटीओ की अक्टूबर और नवंबर की रिपोर्ट के अनुसार, 18 अक्टूबर से 22 नवंबर तक लोगों ने वाहनों के नंबरों पर लगभग 20 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं. यह कीमत वाहन मालिकों ने केवल वाहनों के VIP नंबरों के लिए चुकाई है. 22 नवंबर को एक नंबर "0001" की कीमत 5 लाख 5 हजार रुपये थी. RTO में पंसदीदा नंबर लेने की प्रक्रिया ऑनलाइन है. परिवहन विभाग ने VIP नंबर्स की रेट को निर्धारित किया है और ऑनलाइन नंबर मांगने पर निर्धारित कीमत चुकानी होती है. लेकिन यदि कोई दूसरा वाहन मालिक ऑनलाइन उसी नंबर के लिए ज्यादा बोल देता है, तो फिर वह नंबर उसी को मिलता है जो ज्यादा पैसे चुकाता है. 


जयपुर के झालाना आरटीओ के अनुसार, पिछले साल के आंकड़ों को मिलाकर बीते नवंबर महीने तक, लोगों ने अपने इस शौक की कीमत करोड़ों रुपयों में चुकाई है. अपने पसंदीदा नंबर प्राप्त करने के लिए, लगभग दो साल में लोगों ने 2 करोड़ 8 लाख 11 हजार रुपये खर्च किए हैं. इसके अलावा, लोग अपनी पुरानी गाड़ी के नंबरों को भी नई गाड़ी पर ट्रांसफर करवाने के लिए हजारों और लाखों रुपये खर्च करते हैं.


इन नंबर्स पर ऑनलाइन बोली लगती है. अक्टूबर महीने में टॉप 10 नंबर्स में से सबसे कम कीमत वाला नंबर, 0006 के लिए एक लाख 2 हजार रुपये में चुकाया गया है. VIP नंबर मिलना ग्राहक की तकदीर पर निर्भर करता है. यदि ऑनलाइन VIP नंबर लेने पर किसी दूसरे ग्राहक ने बोली नहीं लगाई, तो तय कीमत पर नंबर मिल जाएगा. लेकिन अगर कोई दूसरा उसी नंबर के लिए ऑनलाइन में कूद पड़ा तो फिर वह नंबर महंगे से महंगा होता चला जाता है. परिवहन विभाग की आय इस कारण बढ़ती चली जाती है. परिवहन विभाग चाहता भी है कि लोगों के अंदर इन नंबर्स को लेकर दीवानगी बनी रहे.