Secret Of The Royal Bathroom : ताजमहल जो प्यार की निशानी के रुप में जाना जाता है. फिलहाल अपनी खूबसूरती नहीं बल्कि ताजमहल के बंद 22 कमरों को लेकर,  दायर याचिका को लेकर चर्चा में हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर हुई. जिसमें ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की मांग की गयी. याचिकाकर्ता का दावा था कि  मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे बंद कमरों में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां और शिलालेख मौजूद हैं. हालांकि कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


22 साल में बना था ताजमहल
क्या आपकों बता है कि शाहजहां ने ताजमहल को बनवाने के लिए बगदाद और तुर्की से कारीगर बुलवाए थे. बगदाद से बुलवाये गये कारीगर को पत्थर पर घुमावदार अक्षरों को तराश करने में काबलीयत हासिल थी. वही बुखारा शहर से कारीगर को बुलवाया गया था, वो संगमरमर के पत्थर पर फूलों को तराशने में दक्ष था. वहीं गुंबदों को बनवाने के लिए तुर्की के इस्तम्बुल में रहने वाले दक्ष कारीगर को बुलाया गया और मिनारों का बनवाने के लिए समरकंद से दक्ष कारीगर को बुलवाया गया था और इस तरह अलग-अलग जगह से आए कारीगरों ने ताजमहल बनाया था.  ई. 1630 में शुरू हुआ ताजमहल के बनने के काम करीब 22 साल तक चला. इसे बनाने में करीब 20 हजार मजदूरों ने योगदान दिया.



ताजमहल के बाथरुम के राज
शाहजहा ने मुमताज महल के लिए खूबसूरत ताजमहल में एक खूबसूरत बाथरुम बनवाया था. मुमताज का स्नानघऱ ऐसा था कि जहां अगर कोई खड़ा हो तो, कमरे के कोने और मोमबत्ती की रोशनी में, मोमबत्ती का प्रतिबिंब बाथरुम की छत पर सुंदर पैटर्न में लगाये गये कई छोटे दर्पण में दिखाई देगा.


मुमताज के लिए शाही बाथटब लगाया गया था. स्नान के वक्त बाथरुम में रानी की दासियां मोमबत्तियों से बाथरुम को जगमग करती और स्नान के दौरान मुमताज के लिए विशेष संगीतकार संगीत बजाते थे. ये संगीतकार केवल किन्नर होते थे. जो स्नानघर के बाहर संगीत बजाते और रानी अपने लंबे स्नान का आनंद लेती . 



स्नान के वक्त रानी के बाथरुम की दीवारों को हाथ से टैप करने पर अलग अलग संगीत नोट्स भी बना सकती है, इसके लिए बाथरुम की दीवारों को विशेष रुप से डिजाइन किया गया था. बाथरुम की दीवारों को चमकीले लाल चेरी कलर की पेंटिग और नक्काशी से सजाया गया था. बताया जाता है दीवारों को पेंट करने के लिए माणिक्य रत्न के चूर्ण का प्रयोग हुआ.



शाही बाथरुम में फव्वारा जेट भी लगाया गया था. इन फव्वारों के संचालित करने के लिए एक ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. जिसमें पानी ओवरहैड टैंक से उच्च दबाव के साथ गिरता था और फिर ये ही पानी फव्वारे में प्रवेश करता था. बाथरुम को और खूबसूरत बनाने के लिए सीरिया से शीशे मंगवाए गए थे.