Ashok Gehlot: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मानहानि मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा खुद को आरोप मुक्त करने की मांग को लेकर दायर कि गयी याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. राउज एवेन्यू कोर्ट के जज हरजीत सिंह जसपाल की अदालत ने दोनो पक्षों की बहस सुनने के बाद 19 सितंबर की दोपहर 2 बजे तक के लिए फैसला सुरक्षित रखा है. आज मामले की सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए कोर्ट में पेश हुए.अधिवक्ताओं के अनुरोध पर अदालत ने दोनों की उपस्थिती दर्ज करते हुए उन्हें दिन के शेष समय के लिए छूट दे दी.


ये था मामला


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मानहानि मामले में अशोक गहलोत ने CrPC की धारा 256 के तहत प्रार्थना पत्र पेश किया है, जिसके तहत उन्होंने एक याचिका कोर्ट में दी थी. इस याचिका में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मानहानि मामले के शिकायतकर्ता केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत के कोर्ट में पेश नहीं होने के आधार पर उन्हें मानहानि के आरोप से मुक्त करने की मांग की है.


गौरतलब है कि CrPC की धारा 256 के तहत किसी भी अपराधिक मामले में शिकायतकर्ता के अदालत में पेश नही होने पर आरोपी द्वारा खुद को आरोप मुक्त करने का अनुरोध किया जा सकता है.


अशोक गहलोत के अधिवक्ता ने इस मामले की सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत के पेश नहीं होने पर खुद को आरोप मुक्त करने करने की मांग करते हुए अपने पक्ष में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई फैसलों का भी हवाला दिया. गहलोत के अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि सीआरपीसी की धारा 256 के तहत पेश की गयी याचिका का अदालत को परीक्षण करने का अधिकार है, गहलोत के अधिवक्ता ने कहा कि केस में सिर्फ वकील और आरोपी के पेश होने से वजह से शिकायतकर्ता यह नहीं कह सकता है कि मामले में आगे बढ़ा जा सकता है.


शेखावत का विरोध


मानहानि मामले में शिकायतकर्ता और केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के अधिवक्ता ने गहलोत की याचिका का विरोध किया. शेखावत के अधिवक्ता ने गहलोत की याचिका की मेन्टेनबिल्टी पर सवाल उठाते हुए कहा कि अशोक गहलोत की यह याचिका जारी रखने योग्य नही हैं. शेखावत के वकील ने कहा कि कोर्ट द्वारा जारी पहले समन पर आरोपी कोर्ट में पेश हुए हैं, उसके बाद आरोपी सभी तारीख पर कोर्ट में पेश हुए है, ऐसे में अब आरोपी की 256 की तहत दाखिल याचिका का कोई औचित्य नहीं रह जाता है.


गजेंद्र सिंह शेखावत के वकील ने कहा अगर समन के आदेश पर आरोपी पेश होता है तो वह बाद में खुद को आरोप मुक्त करने की मांग नहीं कर सकता है. शेखावत के अधिवक्ता ने कहा कि आरोपी दो तारीख पर कोर्ट में पेश होने के बाद सुनवाई पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं. अधिवक्ता ने कहा कि मामले में ट्रायल शुरू करने में अशोक गहलोत के वकीलों की तरफ से देरी की गई.


क्या कहती है धारा 256


अगर कोई परिवादी बिना उचित कारण के किसी मुकदमें की सुनवाई के समय अदालत में उपस्थित नहीं होता है तब मजिस्ट्रेट आपने विवेक के अनुसार निर्णय लेते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर सकता है. अगर परिवादी उपस्थित न होने का कारण स्पष्ट करता है या वकील को सुनवाई के भेजता है तब मजिस्ट्रेट या तो सुनवाई कर सकता है या अगली तारीख तक सुनवाई स्थगित कर सकता है.


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