World Tiger Day: आपको जानकर हैरानी होगी की रणथंभौर जैसे ख्यातिनाम टाइगर रिज़र्व से 2 दर्जन से ज्यादा बाघ गायब हैं. कुछ अधिकारी अच्छा काम कर रहे हैं और लगातार शिकारियों और अवैध खनन कर्ताओं को पकड़ने का काम कर रहे हैं, लेकिन राजनैतिक दबाव के चलते ऐसे ईमानदार अधिकारी भी अपना काम सही तरीके से नहीं कर पा रहे हैं.


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दूसरी तरफ रणथंभौर से निकलकर कई युवा बाघ टेरीटोरी की तलाश में असुरक्षित स्थानों में भटक रहे हैं. वन्यजीव संरक्षण से जुड़े लोगों का कहना है कि राजस्थान में जल्द से जल्द नए टाइगर रिज़र्व की घोषणा होनी चाहिए.
राजस्थान में दो और टाइगर रिज़र्व और घोषित होने की दरकार है. जिससे देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में सबसे बड़ा टाइगर कॉरिडोर बन जायेगा और ये सम्भवतः देश का भी सबसे बड़ा टाइगर कॉरिडोर साबित होगा.  फिलहाल राजस्थान में 4 टाइगर रिज़र्व हैं. 


अलवर का सरिस्का, सवाई माधोपुर-करौली का रणथंभौर और कोटा का मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिज़र्व और बूंदी का रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व अगर करौली-सरमथुरा-धौलपुर और कुम्भलगढ़ को टाइगर रिज़र्व का दर्जा मिलता है, तो धौलपुर से कुम्भलगढ़ तक टाइगर कनेक्टिविटी हो जाएगी. 


कुंभलगढ़ के टाइगर रिज़र्व बनते ही उदयपुर से राजसमंद से पाली और रावली टॉडगढ़ होते हुए अजमेर और उदयपुर के रणकपुर से सिरोही की माउंट आबू वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी से फिर उदयपुर के फुलवारी की नाल तक टाइगर कॉरिडोर बनने की संभावना है.


राजस्थान क्षेत्रफल में जरूर बड़ा है पर ज्यादातर मरु भूमि होने से यहां जंगल कम हैं. वहीं मध्यप्रदेश में 6 टाइगर रिज़र्व हैं.  राजस्थान में जो जंगल टाइगर रिज़र्व बनाए जा सकते हैं, उसमें अप्रत्याशित देरी हो रही है. मध्यप्रदेश भारत का टाइगर स्टेट भी है यहां राजस्थान की तरह कोई लॉबी नहीं है जो किसी भी टाइगर रिज़र्व को प्रभावित करती हो, जबकि राजस्थान में एक ऐसी लॉबी है जो नहीं चाहती कि राजस्थान में एक जगह विशेष की जगह कहीं और टाइगर रिज़र्व बने.


अपने धनबल और राजनैतिक अप्रोच के चलते राजस्थान में नए टाइगर रिज़र्व की हर पहल को प्रभावित करती रहती है. अब जिस तरह से सरिस्का में वन विभाग की टीम में शानदार काम किया है. उससे सरिस्का एक बेहतर विकल्प के तौर पर उभरा है लेकिन यहां भी रणथंबोर के राजनीतिक रसूख वाले कुछ लोगों ने अभी तक रणथंभौर से सरिस्का में टाइगर शिफ्टिंग नहीं होने दी है.


यही कारण है कि रणथंभौर में बाघों की संख्या वहां की क्षमता से करीब दोगुनी हो गई है. बाघों में संघर्ष बढ़ रहा है, बाघ जंगल से निकलकर रिहायशी बस्तियों तक पहुंच जाते हैं और पोचिंग का खतरा भी बढ़ा है. मुकुन्दरा तो शुरू से ही विवादों में रहा और यहां भी सिर्फ एक बाघिन है. अब जल्द ही यहां एक बाघ छोड़ने की योजना बनाई जा रही है.


रिपोर्टर- दामोदर प्रसाद


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