Jaipur: कैशलेस सहयोग के लिए कॉर्पोरेट QR कोड जारी किया गया है. यह सहयोग राशि आयकर के दायरे से भी बाहर रहेगी. सैनिक कल्याण राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने इस QR कोड को लॉन्च कर अभियान की शुरूआत की. देश में हर साल 7 दिसम्बर को झंडादिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय सेना के जवानों का आभार प्रकट करते हुए सेना के लिए धनराशि समर्पित करना है.


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आजादी के बाद 7 दिसम्बर 1947 से सशस्त्र सेना झंडा दिवस या झंडा दिवस भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों के कल्याण के लिए भारत की जनता से धन-संग्रह के प्रति समर्पित किया गया है यह एक दिन. हर बार सेना की वेबसाइट या जगह जगह जाकर सहयोग राशि एकत्रित की जाती रही है, लेकिन पहली बार बैंक की मदद से पहली बार भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों और सेना के कल्याण के लिए इस क्यूआर कोड के जरिए सहयोग किया जा सकता.


ऑन लाइन लांच किया QR कोड 
सचिवालय सभागार में सैनिक कल्याण राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा, सैनिक कल्याण समिति अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह जसोल, उपाध्यक्ष रामसहाय बाजिया, सैनिक कल्याण निदेशक रिटायर्ड ब्रिगेडियर वीएस राठौड़ ने QR कोड की ऑन लाइन लॉन्चिंग की. इस मौके पर पहला ट्रांजेक्शन करके अभियान की भी शुरूआत की गई. निदेशक राठौड़ ने कहा कि आजकल आधुनिक जमाना है, ज्यादातर लोग जेब में पैसा रखने के बजाय ऑन लाइन ट्रांजेक्शन करते हैं. हर कोई मोबाइल से जुड़ा है, ऐसे में वो बार कोड स्कैन कर कहीं से भी सैनिक कल्याण के लिए सहयोग कर सकते हैं। सैनिक कल्याण के लिए किया गया सहयोग आयकर छूट के दायरे से बाहर रहेगा.


अभियान को लेकर किसने क्या कहा 
सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढा ने कहा कि हमारी सरकार ने सैनिकों के लिए काफी काम किए हैं, शहीद सैनिकों को जमीन देने का प्रस्ताव था, लेकिन कब्जा नहीं मिल रहा था, तो 25 लाख दिए जा रहे थे. उस राशि को बढ़ाकर 50 लाख किया गया है. इसी तरह शहीद के माता पिता को 3 लाख रुपए दिए जा रहे थे, जिन्हें बढ़ाकर पांच लाख रुपए किया गया है.


मंत्री गुढ़ा ने कहा कि सैनिकों और उनके परिवार के कल्याण के लिए हर किसी को सहयोग करना चाहिए. राजस्थान में शेखावाटी में शहीदों के अंतिम यात्रा के वक्त बड़ी संख्या में लोग जुड़ते हैं जब उन परिवारों के लिए सहयोग लिया जा सकता है.


सैनिक कल्याण समिति अध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह जसोल ने कहा कि राजस्थान ऐसा राज्य हैं जहां सबसे अधिक सेना में जाते हैं, यहां सैनिकों का सम्मान करना पीढी दर पीढ़ी की परम्परा है. सैनिकों के सम्मान में छतरियां और मूर्तियां बनती है. इन परिवारों और इनके बच्चों के कल्याण के लिए इस अभियान में जुड़े. पहले स्कूल-कॉलेज व संस्थाओं में झंडे लगाकर धन एकत्रित किया जाता था. अब जमाना बदला लेकिन भावना नहीं, टेक्नोलॉजी में बदलाव के साथ सहयोग का तरीका बदला है. जसोल ने कहा कि राजस्थान पहला राज्य जहां सहयोग के लिए एक महीने का पर्व शुरू किया गया है, इससे दूसरे राज्य भी प्रेरणा लेंगे. समिति के उपाध्यक्ष रामसहाय बजिया ने कहा CM की मंशा थी कि आम लोगों की भागीदारी बढ़ाई जाए, इसलिए यह अभियान शुरू किया गया है.


निदेशक सैनिक कल्याण वीएस राठौड़ ने कहा कि अभियान में ब्रांड एम्बेसडर भी नियुक्त किये जाएंगे. इनमें सेना के सबसे ज्यादा मेडल विजेता, अधिक अलंकृत आदि को ब्रांड अम्बेसडर नियुक्त होंगे. अभियान से एकत्र होने वाली राशि वीरांगना होस्टल, छात्रावासों, छात्रवृत्ति विकलांग सैनिकों, सभी जरूरतमंद सैनिकों के परिवारों को सहायता पर खर्च की जाएगी.


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