Surajgarh: ऐसा नहीं है कि परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाने का जिम्मा केवल बेटों के कंधों पर होता है बल्कि जमाना बदला है तो बेटियां भी अपने परिवार की परंपरा निभाने के लिए पसीना बहाकर मेहनत करती है.


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ऐसा ही किया है झुंझुनूं के सूरजगढ़ की रहने वाली 26 साल की नीति यादव ने. नीति यादव के परदादा से लेकर उनके पिता तक ने देश सेवा की. अपने पिता की वर्दी में फोटो देखकर बचपन में ही नीति यादव ने भी सेना की वर्दी पहनने की ठान ली और कड़ी मेहनत से आज मुकाम भी पा लिया है. हाल ही में यूपीएससी के परीक्षा परिणाम में नीति यादव ने 93वीं रैंक प्राप्त की है, जो जल्द ही सीएपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर ज्वाइन करेंगी.


असिस्टेंट कमांडेंट बनने का सफर नीति यादव के लिए किसी भी मायने में आसान नहीं था, ना तो सुविधाएं थी और बेटी होने के कारण जीवन में कुछ परेशानियां आती है, उनका भी सामना करना था. नीति यादव की मम्मी और आईसीडीएस में वर्कर प्रमिला यादव ने बताया कि आज जो उपलब्धि उनकी बेटी ने हासिल की है, उससे ना केवल उन्हें बल्कि सभी को अच्छा लग रहा है. उन्होंने बताया कि नीति यादव का शुरू से मन था कि वह फोर्सेज ज्वाइन करें. उनके दादा अमरसिंह आर्मी से सूबेदार पद से और उनके पिता प्रदीप यादव एयरफोर्स से रिटायर हैं.


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वहीं उनके पड़दादा घीसाराम भी आर्मी में हवलदार पद से रिटायर हुए है. उन्होंने बताया कि परिवार ने कभी अपने सपनों और इच्छाओं को नीति पर नहीं थोपा. उसका मन शुरू से फोर्सेज में जाने का था तो उसके लिए सहयोग किया. आठवीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ी नीति यादव ने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन जयपुर से की और अपनी सारी तैयारियां ऑनलाइन मैटरेरियल मंगवाकर की. यूपीएससी में लिखित परीक्षा नीति ने पास कर ली तो उसके सामने सबसे बड़ी समस्या वजन कम करने की रही.


फिजिकल टेस्ट के लिए अधिकतम 55 किलो वजन होना चाहिए जबकि नीति यादव का वजन करीब 73 किलो था. इसलिए उसने सूरजगढ़ में अपने वजन कम करने की कोशिश शुरू की लेकिन यहां ना तो कोच मिले और ना ही ग्राउंड. इसलिए वह अपने उबड़-खाबड़ खेतों में दौड़ी तो वहीं सड़कों पर सुबह दौड़ कर वजन कम किया. जिम के लिए भी नीति के भाई ने घर में ही साधन उपलब्ध करवाए.


प्रमिला यादव ने बताया कि नीति सुबह चार बजे दौड़ लगाने के लिए जाती या तो उसके पापा या खुद मम्मी, भाई साथ जाते. कई बार भाई बोल भी देता कि दीदी सोने दो ना लेकिन अपनी बहन के सपनों को पूरा करने के लिए वह भी अपनी बहन के साथ दौड़ लगाने जाता. प्रमिला यादव ने बताया कि अंतिम के दो-तीन साल से तो चारों तरफ से बेटी के ब्याह के दबाव भी आने लगे थे. दबावों से मम्मी ने भी एक बार नीति यादव से डरते हुए पूछ ही लिया कि बेटी नौकरी तो लग जाएगी, शादी कर दें क्या, लेकिन बेटी के इरादों के आगे मम्मी ने भी इस दबाव को नकारा और आगे बढ़ने के प्रोत्सहित किया.


नीति यदव ने बताया कि उन्होंने जब से होश संभाला, परिवार के लोगों को देश सेवा से लबरेज और वर्दी में देखा. तभी ठान लिया था कि वह भी वर्दी पहनेंगी. उन्होंने बताया कि मेरे इस संघर्ष में परिवार ने भी जो संघर्ष किया, वो मैं भूला नहीं सकती. सभी ने हर जगह मेरा साथ दिया. खासकर फिजीकल तैयारी के वक्त सुबह चार बजे मेरे साथ मेरा परिवार होता था. उन्होंने इस मौके पर कहा कि अब जिस तरह से बेटियां घर का नाम रोशन कर रही है. उस लिहाज से जरूरत है कि बेटियों की शादी में दहेज के लिए पैसा जुटाने की बजाय उनकी पढ़ाई पर पैसा खर्च किया जाए ताकि बेटी पढ़कर अच्छे मुकाम हासिल होगी तो दहेज के लिए पैसे की जरूरत नहीं पड़ेगी.


Reporter- Sandeep Kedia