जैसलमेर के सीमावर्ती गांवों में पेयजल सप्लाई कर रही BSF की टीम, बेजुबानों को मिली राहत
Jaisalmer: जैसलमेर के सीमावर्ती गांवों में पेयजल सप्लाई कर रही BSF की टीम मददगार बन रही है.इससे बेजुबानों को राहत मिली है.जैसलमेर के सीमावर्ती गांव जहां पानी की कमी है, वहां टैंकर से सप्लाई से की जा रही है.
Jaisalmer: भारत-पाकिस्तान सरहद पर दूर-दूर बियाबान रेगिस्तान में नो मेन्स लैंड है, सीमा सुरक्षा बल की कड़ी निगरानी में परिंदा भी सीमा पार से पर नहीं मार सकता. वहीं, सरहद पर भारत की पहली रक्षा पंक्ति सरहद पर उनके साथ रह रहे सैकड़ों हजारों पक्षियों और मूक पशुधन की भी निगहबान बनी हुई है.
सीमा पर सीमा सुरक्षा बल के जवान मुस्तैदी के साथ ड्यूटी करते हैं और सीमा पर तारबंदी के आस-पास नो मेन्स लैंड होने की वजह से आदमी दूर-दूर तक नजर नहीं आता है. ऐसे में वहां उड़ने वाले पक्षियों के लिए दाना पानी और पशुओ के लिए पानी की व्यवस्था नहीं हो पाती है. सीमा सुरक्षा बल ने सरहद के साथ-साथ इन मूक पशु-पक्षियों के लिए भी रखवाली का बीड़ा उठाया है.
जैसलमेर में भीषण गर्मी का दौर
देश में सुरक्षा बल सरहद की सुरक्षा के साथ-साथ सरहद पर निवास करने वाले बाशिंदों का भी पूरा ख्याल रखती है. इन दिनों जैसलमेर में भीषण गर्मी का दौर है.भारत-पाक सरहद की बात करें तो वहां पारा कभी-कभी 50 डिग्री से ऊपर चला जाता है. ऐसे में सीमा की रखवाली कर रही सीमा सुरक्षा बल अपने जवानों का ख्याल रखने के साथ साथ सरहद पर बसे लोगों का भी पूरा ख्याल रख रही है. सरहद के बाशिंदों के लिए मेडिकल कैंप से लेकर शिक्षा और खेल सामग्री और पीने का पानी भी इन ग्रामीणों को मुहैया करवाती है.
जवान फरिश्तों से कम नहीं
वहीं, भारत पाकिस्तान सरहद पर पल रहे सैकड़ों हजारों पक्षियों को इस भीषण गर्मी में पानी और दाने की वजह से जान नहीं गंवानी पड़े इसको लेकर सीमा सुरक्षा बल ने ये मिशन चलाया है.सरहद पर पल रहे सैकड़ों हजारों पशु-पक्षियों के लिए BSF के जवान फरिश्तों से कम नहीं हैं.जवान इन पशु पक्षियों के लिए सीमा चौकी पर ही दाना पानी की व्यवस्था कर रहे हैं.
दाना और पानी की पूरी व्यवस्था
इस भीषण गर्मी में परिंदों को दाना-पानी के लिए मीलों भटकना नहीं पड़े, इसके लिए सीमा सुरक्षा बल ने पक्षियों के लिए अपने यहां ही दाना और पानी की पूरी व्यवस्था की है. सुबह और शाम इन पक्षियों को दाना-पानी खिलाया पिलाया जाता है. ये पक्षी अब इन जवानों के भी परिचित हो गए हैं. इनकी एक आवाज में ही उड़कर भोजन करने आ जाते हैं. इसे एक मिशन की तरह लिया गया है और इस मिशन का नाम ही दाना-पानी रखा गया है. वहीं, सरहद पर घूम रहे पशु के लिए पानी की व्यवस्था कर रहे है.
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