Jaisalmer: दरअसल जैसलमेर के कोटड़ी गांव मे स्व.कीरतसिंह की पुत्री का विवाह 6 जून को संपन्न हुआ, हर पिता की तरह स्व.कीरतसिंह का भी सपना था कि वे अपनी बेटी का विवाह धूमधाम से करेंगे और इसे खास बनाएंगे लेकिन कीरतसिंह का 2016 में ही देहांत हो गया. उनकी इच्छा थी कि उनकी बेटी मोहन कंवर की शादी में कोई नई पहल करें जो अब तक गांव ओर आस-पास के क्षेत्र में ना हुई हो.


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गांवों में चर्चा का विषय


उनकी इसी इच्छा को लेकर दुल्हन के ताऊ भगवानसिंह और दुल्हन के 4 भाइयों मनोहर सिंह, पूनमसिंह, उम्मेदसिंह, शैतानसिंह ने इस शादी को ख़ास बना दिया और दूल्हे ने हाथी पर बैठ कर तोरण बाँधा जो गाँव और आस-पास के गाँवो में चर्चा का विषय बना हुआ है.


दूल्हा थानसिंह पुत्र मूलसिंह सोढा गांव मसूरिया जो भारतीय थलसेना में 20 राज राइफल में राइफल मैन के रूप में सूरतगढ़ में तैनात है. उनकी बारात जैसे ही कोटड़ी गांव पहुँची बारात का ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत हुआ. इस दौरान दूल्हा हाथी पर सवार हुआ और दुल्हन के घर तक पहुंचा. कोटड़ी गांव मे पहली बार हाथी पर सवार दूल्हे को देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी तो महिलाएं अपने घरों की छत पर तो कोई मेड़ी पर चढ़ गई.


 2 लाख 25 हजार का खर्च आया


जैसलमेर के रेगिस्तान में प्रायः ऊंठ देखने को मिलते हैं, लेकिन कोटड़ी में हुई शादी में पहली बार हाथी आया वो भी जोधपुर से जोधपुर के पाल रोड़ स्थित गंगा आश्रम से हाथी को लाने के लिए 2 लाख 25 हजार का खर्च आया. इसके अलावा उसके खाने-पीने की विशेष व्यवस्था करनी पड़ी.


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