Ramgarh, Jaisalmer News: राजस्थान के जैसलमेर के रामगढ़ के नहरी क्षेत्र में लंबे समय से कोयले का अवैध कारोबार चल रहा है, जिसमें बड़े-बड़े पेड़ उसकी भेंट चढ़ रहे है. जिम्मेदारों की अनदेखी और मौन सहमति के चलते नहरी क्षेत्र में बड़े-बड़े पेड़ों को काटकर कोयला बनाया जा रहा है और प्रतिदिन सैकड़ों बोरी कोयला बाहर भेजा जा रहा है. कोयले के अवैध कारोबार से जुड़े लोग बेखौफ होकर पेड़ों को काटकर कोयला बना रहे है. 


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नहरी क्षेत्र के डिच माईनर एम, रायमला गांव के निकट आदि स्थानों पर बड़ी संख्या में मजदूर पेड़ों को काटकर कोयला बनाने के काम में लगे हुए है. नहरी क्षेत्र में पेड़ों को काटकर कोयला बनाने के अवैध कारोबार के बारे में वन विभाग को जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. इसमें मिली भगती की आशंका से नकारा नहीं जा सकता. 


बीते दिनों मोहनगढ़ में अवैध कोयला बनाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की गई थी, लेकिन रामगढ़ के नहरी क्षेत्र में अवैध रूप से पेड़ों को काटकर बनाए जा रहे कोयले की सूचना वन विभाग के अधिकारियों को देने बाद कार्रवाई नहीं की जा रही है. सर्दीयों में कोयले की मांग बढ़ने साथ ही कोयले के कारोबारियों ने रामगढ़ के नहरी क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर अपना डेरा जमा लिया है. कोयले के कारोबारी विलायती बबूलों के साथ देसी बबूलों और अन्य पेड़ों को काटकर कोयला बनाने में जुटे हुए है. जिम्मेदारों की खामोशी मिली भगती को उजागर करती है.


काटना मुश्किल, कोयला ले जाना आसान
इस मामले में यह सामने आया कि लकड़ी तो कोयले से महंगी बिकती है, लेकिन इतनी तादाद में पेड़ काटना और फिर उसका परिवहन करना मुश्किल है. कुछ साल पहले लकड़ी का कारोबार चलता था, लेकिन उस पर नकेल कसना प्रशासन के लिए भी आसान था. अब इन लोगों ने कोयले का गोरखधंधा शुरू कर दिया, जिसमें आग लगाना भी आसान है और कोयले के परिवहन पर कोई रोक टोक भी नहीं है.


समय रहते नहीं रोका तो लाखों पेड़ हो जाएंगे नष्ट
कई साल बीत गए लेकिन जानकारों को इसका पता ही नहीं है. कुछ को जानकारी भी है तो वे कार्रवाई नहीं कर रहे है. ऐसे में यदि समय रहते कोयले के इस अवैध कारोबार को नहीं रोका गया, तो लाखों के पेड़ जला दिए जाएंगे. जैसलमेर में रामगढ़ से लेकर नाचना तक अलग-अलग कोयले के व्यापार करने वाले लोगों द्वारा पेड़ों को काटकर कोयला बनाकर उसका अवैध कारोबार किया जा रहा है.


नहरी इलाके में आग लगने के लिए कोयले का अवैध कारोबार करने वाले लिप्त हैं. ये लोग जानबूझकर आग लगाते हैं. प्रशासन और वन विभाग मशक्कत करके दो से तीन दिन में आग पर काबू पा लेते हैं. कोयले का कारोबार करने वाले पूरे साल सक्रिय रहते है. 


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आमतौर पर गर्मियों के दिनों में आगजनी की घटना आम बात होती है. इसलिए इनका आग लगाने का समय भी यही रहता है, क्योंकि इस दौरान तेज आंधियां चलती है. इसलिए उन्हें आग लगाने के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ती. किसी एक जगह आग लगाकर चले जाते हैं और देखते ही देखते आग दो से तीन किलोमीटर दायरे में फैल जाती है. आग पर काबू पाने के कुछ ही दिन बाद ये लोग आकर अधजली लकड़ियों पर रेत डाल देते है, जिससे वह कोयले का रूप ले लेता है.


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