Jaisalmer: पक्षी और वन्यजीव बाहुल्य लाठी क्षेत्र के धोलिया गांव के पास स्थित जंगल में दक्षिण और पूर्व दिशा से उड़कर आने वाले इंडियन कोर्सर पक्षी दिखाई दिए हैं. इन पक्षियों का घोसला पथरीली सतह पर बिना किसी घासफूस के बना हुआ है. इसके अंडे का रंग जैसलमेर की पथरीली जगहों विशेषकर गोल पत्थरों जिन्हें स्थानीय बोली में गैंगचिया और सरकारी भाषा में पी ग्रेवल कहते हैं, उनसे मिलता-जुलता है, इसलिए यह उन पर सुरक्षित रहते हैं.


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धोलिया गांव के पक्षी प्रेमी राधेश्याम विश्नोई ने बताया कि मानसून से पहले घास के मैदानों और नदी किनारे के खुले मैदानों का यह पक्षी दक्षिण व पूर्व दिशा से जैसलमेर में आकर प्रजनन करता है.उन्हें बड़ा करता है और मानसून के चले जाने के बाद नए जन्में सदस्यों के साथ दक्षिण व पूर्व में उड़ जाता है. विश्नोई ने बताया कि दक्षिण भारत के पक्षी व पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो यह पक्षी तेजी से कम हो रहा है और दक्षिण भारत में जहां कभी यह बड़ी संख्या में मौजूद था अब इसे देखना मुश्किल होता जा रहा है. इसका कारण ज्यादातर घास के मैदान खत्म होकर खेत बन चुके हैं, नदियों के मैदान बांधों के डूब क्षेत्र बन चुके हैं, जो किनारे डूब क्षेत्र नहीं हैं वहां बजरी का खनन जारी है.गाँवों-शहरों के आसपास के खुले मैदान लगभग खत्म हो चुके हैं.


ऐसा दिखता है इंडियन कोर्सर
पक्षी प्रेमी राधेश्याम विश्नोई ने बताया कि इंडियन कोर्सर‌ एक मध्यम आकार का पक्षी होता है,इसकी लंबाई 20 से 25 सेमी है. ऊपरी भाग भूरे और पूंछ सफेद रंग कि होती है. मुकुट गहरा चमकीला रूफस होता है. आंख पर काली-पट्टी होती है जो चोंच के आधार पर शुरू होती है. ठोड़ी और निचले गाल क्रीम रंग के होते हैं. काली चोंच नीचे की ओर थोड़ी घुमावदार होती है. इसके लंबे पैर सफेद और चमकदार होते हैं.


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