जैसलमेर की चमचम मुंह में जाते ही दिल होगा गार्डन-गार्डन

Rajasthan News: जैसलमेर के पोकरण में एक मिठाई काफी प्रसिद्ध है, जिसको चमचम कहते हैं. इस मिठाई ने साल 1974 में लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बना ली थी, जो आज तक लोगों की जबान पर राज कर रही है.

स्नेहा अग्रवाल Wed, 11 Sep 2024-4:28 pm,
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रेलवे स्टेशन के पास है दुकान

कहा जाता है कि साल 1974 में परमाणु परीक्षण के वक्त बाहर से आए वैज्ञानिक और सेना के जवान पोकरण के अंदर के इलाकों में घूमते थे. इस दौरान उन्होंने रेलवे स्टेशन के पास एक दुकान पर चमचम नाम की मिठाई खाई. 

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पूरे देश में मशहूर

यह मिठाई उन लोगों को इतनी पसंद आ गई कि वो खाने के साथ उसे अपने साथ डिब्बों में पैक करवाकर ले गए.  वहीं, धीरे-धीरे ये चमचम पूरे देश में फेमस हो गई. पोकरण की चमचम पूरे देश में मशहूर है. 

 

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पोकरण की खास जलवायु

 चमचम देश के काफी राज्यों में बनती है लेकिन पोकरण की खास जलवायु की वजह से यहां की चमचम का स्वाद अलग ही है. पहले यहां की चमचम सफेद रंग की होती थी, जिसकी चमक की वजह से उसका नाम चमचम रखा गया.

 

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चमचम के स्वाद के बिना अधूरी है यात्रा

वहीं, अब चमचम को पीला रंग देने के लिए केसर डाला जाता है. यहां को लोगों को कहना है कि  पोकरण आने वाला हर यात्री चमचम का स्वाद जरूर चखकर जाता है, इसके बिना उनकी यात्रा अधूरी मानी जाती है. 

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परमाणु: स्टोरी ऑफ पोकरण

साल1974 और 1998 में हुए परमाणु परीक्षण के वक्त राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भी चमचम का स्वाद चखा था, जो इसके दीवाने हो गए थे. वो इसे खाने के साथ इसे अपने साथ लेकर भी गए. 'परमाणु: स्टोरी ऑफ पोकरण'  नाम की फिल्म में चमचम का जिक्र किया गया है. 

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