यहां सुहागरात से पहले दूल्हा-दुल्हन जाते हैं श्मशान घाट, जानिए वजह

Jaisalmer News Today: भारतीय शादियों में तमाम तरह की रस्में की जाती हैं. कुछ शादियों में तो इतनी रस्में होती हैं कि रात से लेकर सुबह हो जाती है लेकिन रस्में खत्म ही नहीं होती हैं. वहीं, शादी के बाद हर कपल की सुहागरात होती है. इसके लिए हर लड़की लड़का कई सपने देखते हैं लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि सुहागरात से पहले श्मशान घाट जाया जाए.

संध्या यादव Wed, 12 Jul 2023-10:49 am,
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बड़ा बाग में है छतरियों वाली जगह

यह बात सुनने मात्र से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं, ऐसे में उन दूल्हा-दुल्हन के बारे में सोचिए, जिन्हें अपनी सुहागरात से पहले श्मशान घाट जाना पड़ता है. दरअसल, राजस्थान के जैसलमेर में 6 किलोमीटर दूर एक जगह है, जिसका नाम बड़ा बाग है. यह जगह काफी खूबसूरत है. इस जगह को छतरियों वाली जगह के नाम से भी जाना जाता है.

 

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राजपरिवार का खानदानी श्मशान घाट

कहते हैं कि यहां पर जैसलमेर के राजपरिवार का खानदानी श्मशान घाट है. अगर यहां किसी के घर में कोई भी स्पेशल फंक्शन होता है तो उसे सबसे पहले श्मशान घाट जा कर पूजा करनी पड़ती है. यहां के निवासियों का मानना है कि पूर्णिमा के दिन शादी ब्याह के बाद सबसे पहली पूजा उसी श्मशान घाट में की जाती है. सुहागरात से ठीक पहले दूल्हा-दुल्हन श्मशान घाट में आकर पूजा पाठ करते हैं.

 

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कोई पूजा के लिए नहीं करता मजबूर

लोगों की मानें तो यह परंपरा सालों से चली आ रही है हालांकि इसके लिए कोई किसी को मजबूर नहीं करता है लेकिन इसके बावजूद दूल्हा दुल्हन सुहागरात से पहले श्मशान घाट आकर पूजा जरूर करते हैं.

 

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श्मशान की छतरियों से हुक्का पीने की आवाजें

स्थानीय बुजुर्गों का मानना है कि कई बार तो रात के समय श्मशान की छतरियों से हुक्का पीने की आवाजें सुनाई देती हैं. इसके साथ ही यहां पर तंबाकू की महक भी आती है. यहां पर आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि कई बार तो सूरज ढलने के बाद हंसने और घुंघरुओं के छनछन की आवाजें तक सुनाई पड़ती हैं. 

 

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शाम ढलने के बाद कोई नहीं जाता

कुछ लोगों का कहना है कि कुछ लोगों को यहां पर बीते समय की रानियां और राजकुमारियां भी लोगों को दिखाई दे चुकी हैं हालांकि दिन के समय कोई भी वहां पर जा कर पूजा पाठ कर सकता है लेकिन शाम ढलने के बाद कोई भी वहां पर नहीं चाहता है.

 

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पर्यटकों को भी लगता अजीब

डरावनी आवाजें केवल रात के समय सुनाई दे ऐसा नहीं है. कई पर्यटकों ने भी बताया है कि शाम होने के बाद वहां पर रुकने में अजीब सा डर महसूस होता है.

 

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103 राजा रानियों की है समाधि

जानकारी के लिए बता दें कि इस जगह पर 103 राजा रानियों की छतरियां बनी हुई हैं. इनके नीचे उनकी समाधि भी बनी है. इसी जगह पर खेत्रपाल जी का मंदिर है, जिसे वहां के लोग लोक देवता मानते हैं.

 

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आत्माएं करने आती हैं पूजा

मान्यता है कि खेत्रपाल जी इस जगह की 7 योगिनियों के भाई थे. वहीं, राज परिवार के सभी दिवंगत सदस्य हर रात को इसी मंदिर में पूजा करने के लिए आते हैं.

 

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