Jaisalmer: धरती पर तेजी से लुप्त हो रहे वन्य जीव प्राणी और राज्य पक्षी द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संदर्भ में एक बहुत बड़ी खुशखबरी सामने आई हैं. इन दिनों राजस्थान में चल रही गोडावण की ब्रीडिंग सीजन में लुप्त हो रहे परिवार में 6 नए मेंम्बर के जुड़ने की खुशखबरी आई है. जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क स्थित गोडावण के ब्रीडिंग सेंटर में अण्डे से एक चूजा निकल कर आया है. वन्य जीव विभाग की मानें तो ये अपने आप में बहुत बड़ी खबर है कि दुनिया भर में लुप्त हो रही दुर्लभ पक्षी गोडावण की प्रजाति को जैसलमेर में संरक्षित करने और उसके परिवार बढ़ाने के प्रयास अब सफल साबित हो रहे हैं. वन्य जीव विभाग जैसलमेर के सहायक वन संरक्षक पी बालामुरूगन ने बताया कि हमारे अथक प्रयास और संरक्षण के उचित कदम उठाए जाने के बाद से गोडावण का कुनबा लगातार बढ़ रहा है. जैसलमेर के सुदासरी में गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में 16 गोडावण पहले से ही पल रहे हैं. अब 6 नए मेहमानों के आ जाने से हम बहुत ज्यादा खुश है. गौरतलब है कि जैसलमेर में 150 के करीब गोडावण विचरण कर रहे हैं और नए मेहमान मिलने से इनकी संख्या में बहुत ज्यादा इजाफा होने की उम्मीद है.


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सहायक वन संरक्षक पी बालामुरूगन ने बताया कि कुल 6 नए मेहमानों की दस्तक हुई है. इनमें से 1 अंडा रामदेवरा में मिला था. जिसमे से एक नन्हा गोडावण निकला है. इसके बाद 2 अंडे सुदासरी इलाके में मिले हैं. इनमें से 1 अंडे में से चूजा निकल आया है बाकी एक चूजा फिलहाल अंडे में ही है और वो हमारी देखरेख में है. वहीं जंगल में कुछ अंडे के खोल मिले है. जिससे ये जानकारी मिली है कि इनमें से भी चूजे निकल कर अपने परिवार के साथ रह रहे हैं. इस तरह से देखा जाए तो कुल 6 नन्हें गोडावण मेहमान है जिनमे से 3 हमारे पास है और 3 जंगल में अपने परिवार के साथ विचरण कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड कन्जरवेशन ब्रीडिंग प्रोग्राम के तहत और आगे भी गोडवण के नए अण्डे मिलने की संभावना है. क्योंकि इन दिनों गोडावण की ब्रीडिंग सीजन चल रही हैं. मेल और फीमेल की प्रणय लीलाएं देखी जा रही है.


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डेजर्ट नेशनल पार्क गोडावण का सबसे संरक्षित क्षेत्र
दरअसल जैसलमेर का डेजर्ट नेशनल पार्क गोडावण का सबसे संरक्षित इलाका माना जाता हैं. यहां पर 70 के करीब क्लोजर हैं. जिसके कारण यहां पर इसके प्रजनन की अनुकूल स्थितियां बनी हुई हैं. इस पार्क में बनाए गए हैचरी सेन्टर में अण्डों को वैज्ञानिक तरीके से सेज कर उनसे चूजे निकलवाए जा रहे हैं. ये कृतिम प्रजनन केंन्द्र कई मायनों में सफल साबित हो रहा हैं. इस समय वहां 16 गोडावण है जिनका लालन-पालन हो रहा है. जिनमें से 13 फ़ीमेल है और 3 मेल गोडावण है.


Reporter- Shankar Dan


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