Jaisalmer: सोमवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो गए हैं. देश में हर जगह देवियों की पूजा होगी. आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं, जिसे तनोट माता के साथ साथ बमों वाली माता भी कहा जाता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

भारत-पाकिस्तान की सीमा के निकट पुरानी तनोट सीमा चौकी स्थित एक देवी का ऐसा चमत्कारिक मंदिर है, जहां बमों की पूजा होती है. पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान में स्थित हिंगलाज माता के स्वरूप में स्थापित करीब 1200 साल पुराने तनोट मातेश्वरी मंदिर आज बमों वाली देवी के नाम से पूरे विश्व में विख्यात हो चुका है.


वैसे 1965-71 में भारत पाकिस्तान के युद्वों में माता के चमत्कारों से ये देवी जवानों की देवी तो कहलाती हैं, साथ ही देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं के लिये आस्था और श्रद्धाका प्रतीक बनी हुई हैं. मंदिर परिसर में एक रुमाल घर भी बना हुआ है, जहां बंधे हुए लाखों रूमाल. इस रूमाल घर में श्रद्धालु अपनी मनोकामना के लिए मन्नती रूमाल बांधते हैं.


यह भी पढे़ं- Navratri 2022: 3000 सालों तक मां ब्रह्मचारिणी ने पेड़ों की पत्तियां खाकर की थी महादेव के लिए तपस्या


इसकी पूजा अर्चना और सार संभाल बी.एस.एफ के जवान ही करते हैं, बी.एस.एफ के जवान ही इसके पुजारी हैं. प्रतिदिन होने वाली आरतियों इतनी तनमयता से वह शानदार तरीके से गाते हैं कि सुनने वाला भी अभिभूत हो जाता हैं. अलौकिक चमत्कारों का यह मंदिर है राजस्थान के सीमावर्ती जैसलमेर जिले भारत पाक सीमा पर स्थित 1200 साल पुराना तनोट मातेश्वरी मंदिर. यह मंदिर स्वर्णनगरी जैसलमेर से 120 कि.मी. दूर है.


सोमवार से शुरू हुवे शारदीय नवरात्र के दौरान दर्शनार्थियों का सैलाब उमड़ पड़ा है. इस मंदिर के पुजारी बी.एस.एफ के जवान ही हैं, ये जवान ना केवल मंदिर की देखरेख कर रहे हैं वरन प्रतिदिन आने वाले हजारों श्रद्धालुओं की भोजन, सुख-सुविधा आदि का ख्याल भी रख रहे हैं.


जैसलमेर जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर दूर शक्तिपीठ मातेश्वरी तनोट रॉय मंदिर में सोमवार को घट कलश स्थापना के साथ ही नौ दिवसीय मेला प्रारम्भ हो गया है. मंदिर में देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रृद्धालु पहुंच रहे हैं तथा सांय काल होने वाली एक घंटे की विशेष आरती में हिस्सा ले रहे हैं. पूरे मंदिर को आकर्षक रोशनी और सजावट से सजाया गया है.


नौ दिवसीय मेला प्रारम्भ हो गया
जैसलमेर से लगती पाकिस्तान सीमा पर स्थित विशअव विख्यात और चमत्कारिक 1200 साल पुराने शक्तिपीठ मातेश्वरी तनोटरॉय मंदिर में घट कलश स्थापना के साथ ही नौ दिवसीय मेला प्रारम्भ हो गया. चमत्कारी मंदिर के नाम से देश भर में विख्यात माता तनोट मंदिर में षारदीय नवरात्र के मौके पर घट स्थापना पर हुए हवन में बी.एस.एफ के अधिकारियों, जवान और अन्य श्रद्धालुओं ने आहुतियां दी. हवन के बाद दोपहर में हुई आरती में दूर दराज से आए भारी संख्या में श्रृद्धालु शरीक होते हैं. आरती के दौरान समूचा मंदिर परिसर खचाखच भर जाता है. आरती के पश्चात् माता के भण्डारे में सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद के रूप में भोजन ग्रहण किया करते हैं. माता तनोट के प्रति बढ़ती आस्था इस बात का प्रमाण है कि दूर दराज से सैंकड़ों श्रृद्धालु पैदल यात्रा कर माता के दरबार में पहुंचते हैं.


मां तनोटराय का अवतरण प्रसिद्व शक्ति पीठ हिंगलाज से है, जो अब पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रांत में लाल सेवा जिले में स्थित है. हिंगलाज से शक्ति माता के मंदिर का सिर भाग गिरा था. सिंदूर को हिंगल के नाम से जाना जाता है इसलिये इस स्थान का नाम हिंगलाज पड़ा.


पैदल आते हैं भक्त
माता तनोट के प्रति बढ़ती आस्था इस बात का प्रमाण है कि दूर दराज से सैंकड़ों श्रद्धालु पैदल यात्रा कर माता के दरबार में पहुंचते हैं. मेले के मद्देनजर तनोट में प्रसादी की स्थाई और अस्थाई दुकानें सज गई हैं. सीमावर्ती क्षेत्र होने की वजह से तथा श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए तनोट में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. सीमा सुरक्षा बल के जवानों के साथ पुलिस कर्मी तैनात है.


क्या कहना है तनोट माता मंदिर के पुजारी का
तनोट माता मंदिर के पुजारी मनीष शर्मा बताते हैं कि तनोट माता के दरबार में आने वाला हर श्रद्धालु अपनी मनोकामना के साथ एक धागा जरूर बांधता हैं. यहां पर हजारो की तादात में पुराने धागे और रुमाल बंधे हुवे हैं. तनोट माता के बारे में जग विख्यात हैं कि भारत पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के इौरान सैकड़ों बम परियर में पाक सेना द्घारा गिराऐ गये. मगर एक भी बम फूटा नहीं, जिसके कारण ग्रामीणों के साथ साथ सेना और अर्ध सैनिक बलों के जवान पूर्ण रूप से सुरक्षित रह गये. मंदिर को भी खरोंच तक नही आई. भारत पाक युद्ध 1965 के बाद तो भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल की भी यह आराध्य देवी हो गई. उनके द्वारा नवीन मंदिर बनाकर मंदिर का संचालन भी सीमा सुरक्षा बल के आधीन है. देवी को शक्ति रूप में इस क्षेत्र में प्राचीन समय से पूजते आये हैं. 


श्रद्धालु इस मंदिर के बारे में कई श्रद्धालुओं ने बताया कि वैसे भारत पाकिस्तान सीमा पर सीमा सुरक्षा बल की तनोट चौकी पर स्थित मातेश्वरी तनोटराय मंदिर के 1965 और 1971 के युद्व के दौरान कई चमत्कारों से आज भी सेना और सीमा सुरक्षा के जवान और अधिकारी अभिभूत है. यह मंदिर इन जवानों अधिकारियों के साथ साथ देश के कई श्रद्धालुओं का श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है.