राजस्थान का वो गांव जहां बेटी की इज्जत बचाने के लिए रातों-रात पसर गया सन्नाटा
Kuldhara Village : जैसलमेर से 18 किमी की दूरी पर कुलधरा गांव को पालीवाल ब्राह्मणों ने खाली करने का फैसला लिया था. करीब 84 गांव पालीवाल ब्राह्मणों का कभी यहां आशियाना था. यहां की रियासत का दीवान सालम सिंह था. जिसकी बुरी नजर गांव की एक लड़की पर पड़ गयी थी.
Kuldhara Village : राजस्थान का इतिहास अपने अंदर ना जाने कितने किस्से कहानियां छुपाए बैठा है. ऐसी ही एक कहानी है, राजधानी जयपुर से करीब 550 किमी दूर जैसलमेर के कुलधरा गांव की. वो गांव जहां के लोगों ने अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए रातों रात अपने बसे बसाए आशियानों को छोड़ दिया.
बताया जाता है कि पूरा गांव खाली हो गया लेकिन किसी ने कदमों की आवाज तक नहीं सुनी. गांव के बड़ों के आदेश के मुताबिक, सभी गांव के लोग गांव छोड़कर चले गए और जाते जाते इस गांव को श्राप देकर गए की, ये गांव दुबारा नहीं बसेगा.
जैसलमेर से 18 किमी की दूरी पर कुलधरा गांव को पालीवाल ब्राह्मणों ने खाली करने का फैसला लिया था. करीब 84 गांव पालीवाल ब्राह्मणों का कभी यहां आशियाना था. यहां की रियासत का दीवान सालम सिंह था. जिसकी बुरी नजर गांव की एक लड़की पर पड़ गयी थी.
गांव की वो लड़की बहुत खूबसूरत थी और कुछ ही दिनों में उसकी शादी होने वाली थी. लेकिन सालम सिंह की जिद्द थी कि उसे वो लड़की चाहिए. इसके बाद गांव में रहने वाले सभी लोगों ने कुंवारी लड़की के सम्मान और अपने आत्मसम्मान के लिए गांव को खाली करने का फैसला लिया. उस रात का वीरान हुआ कुलधरा 200 साल बाद आज तक वीरान हैं.
सुनी-सुनाई
बताया जाता हैं कि जब पालीवाल ब्राह्मणों ने गांव खाली करने का फैसला लिया, तभी उन्होंने इस जगह को श्राप भी दे दिया था. उस दिन के बाद से आज तक यहां रूहानी ताकतों का वास माना जाता है. इस गांव में शाम के समय कभी ना कभी आवाज़ें सुनाई देती हैं. इस गांव के लिए कहा जाता हैं यहां कोई गाड़ी आती है तो उसके पीछे एक पैर और एक हाथ का निशान बन ही जाता है. ये जगह काफी डरवानी हैं यहां शाम ढलने के बाद अंदर जाने की अनुमति प्रशासन की तरफ से भी नहीं दी गयी है.
कुलधरा गांव बना पर्यटक केंद्र
कुलधरा गांव 200-250 साल पहले बिल्कुल वैज्ञानिक तरीके के साथ बसाया गया था, जिसके प्रमाण आज भी यहां जाने पर मिल जाते हैं. भीषण गर्मी के बावजूद इन मकानों में शीतलता का अहसास होता हैं. इन सभी घरों में झरोखे बने हुए थे, जिनसे गुज़र कर गर्म हवा भी ठंडी हो जाती थी. घरों के अंदर कुंड, ताक और सीढि़यां भी बनाई गई थी.
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