Lumpy Skin Disease In Pokran: जैसलमेर जिले के पशुबाहुल्य लाठी क्षेत्र में गायों में फैली लंपी बीमारी के हालात भयावह हैं. हर दिन इतनी गायें मर रही हैं, जिनका पुख्ता आंकड़ा तक सरकार के पास नहीं है. सरकार के पास उपचार नहीं होने के चलते क्षेत्र के हर गांव के हर घर से गायों की अंतिम यात्रा निकल रही है. हर दिन स्थिति बिगड़ती और बद से बदतर होती जा रही है.


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बेजुबान जानवरों को चारा तो मिल रहा लेकिन खा नहीं पा रहे
राजस्थान में इन दिनों अच्छी बारिश के चलते चारों तरफ हरियाली हैं. इन बेजुबान जानवरों को चारा तो मिल रहा लेकिन ये चारा खा नहीं पा रहे. कभी चारा के अभाव में इन पशुओं का पेट भी नहीं भर पा रहा था. आज समुचित मात्रा में चारा तो है लेकिन लंपी बिमारी के चलते पशु काल के गाल में समा रहे है. इनके इलाज में अभी तक सरकार के तरफ से कोई समुचित व्यवस्था नहीं पहुंच पाई है. 


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क्षेत्र में कई तो ऐसे गांव हैं,जहां गायों के इलाज की बेसिक सुविधा तक नहीं है. कहीं धूप,नीम के पत्तों के रस से गायों का इलाज किया जा रहा है तो कहीं पशुपालक झाड़-फूंक के भरोसे हैं. कई लोगों ने थक हार कर गायों को गौशाला में भेज दिया है.


पशुओं के लिए कोरोना जैसा संकट बन रही लंपी बीमारी
पशुबाहुल्य लाठी क्षेत्र में लंपी स्किन संक्रमण से कई पशुओं कि मौत होने के बाद भी अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं. लाठी कस्बे सहित,धोलिया,खेतोलाई,सोढाकोर,भादरिया,डेलासर,केरालिया,ओढाणीया,चाचा क्षेत्र में फैली इस बीमारी से उपचार ‌के अभाव में हर रोज दर्जनों मौते हो रही है. मृत गायों को ‌दफनाने कि बजाय खुले में डालने से गांवों के आसपास के क्षेत्र में जगह जगह मृत पशुओं के ढे़र लग गए.

 गायों को बचाने के लिए झाड़-फूंक
क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में पशुपालकों को लंबी स्किन बीमारी का उपचार नहीं मिलने के कारण पशुपालन मजबूरी में लंपी के इलाज के झाड़-फूंक का सहारा ले रहे है. अधिकारी भले दावे करें कि कई टीमें इलाज में लगी हुई हैं, लेकिन हकीकत ये है कि हालात काबू से बाहर हो गए हैं. कई ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज नहीं मिलने के कारण लोग धूप, नीम के पत्तों के रस से इलाज कर रहे हैं.


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इतनी खराब हालत कि गायें बैठ भी नहीं पा रहीं
पशुबाहुल्य लाठी क्षेत्र में फैली लंपी स्किन नामक बीमारी के कारण यहां हर दिन दर्जनों गायों की मौत हो रही है. सैकड़ों गाय अभी तक इस बीमारी से ग्रसित हैं. रोग ऐसा है कि पशुओं खड़े होना तो दूर गायें बैठ भी नहीं पा रही हैं. कई‌‌ गाये ज्यादा गंभीर रूप से घायल हैं. पशुपालकों ने बताया कि पशु चिकित्सालय से कोई उपचार और मदद नहीं मिल रही है. ऐसी में मजबूरन पशुपालक अपने गोवंश को अपने सामने तड़प तड़पकर मरते हुए देखने को मजबूर हैं.


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