जालोर न्यूज: जालोर जिले में विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहि​ता लगते ही कई अधिकारी इतने मदमस्त हो जाते है कि नियम कायदे ही भूल जाते है. ऐसा ही एक मामला भीनमाल नगरपालिका में सामने आया है. 


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यहां पर पालिका के लापरवाह बने अधिकारियों ने आदर्श आचार संहिता लगने से पूर्व बिना विभागीय अनुमति के ही पीपीपी मोड पर बन रही रामसीन-रानीवाड़ा नवीन सड़क पर दो प्रवेश द्वारों का निर्माण कार्य आनन फानन में शुरू करवा दिया. इन प्रवेश द्वारों के निर्माण की लागत करीब डेढ़ करोड़ रूपये है. जो बिना अनुमति के कार्य शुरू करवाया गया है. ऐसे मे अब दोनों विभाग आमने-सामने हो गए है.


आपको बता दें कि भीनमाल की नगरपालिका की ओर से रामसीन—रानीवाडा पीपीपी रोड़ पर दोनों ओर दो प्रवेश द्वार बनवाने के लिए 1 करोड़ 46 लाख रुपए का टेंडर जारी किए. 28 अगस्त 2023 को निविदा भरने की अंतिम तारिख थी. इसके बाद आनन—फानन में आदर्श आचार संहिता लगने से पहले टेण्डर खोलकर ठेकेदार को वर्क ऑर्डर थमा दिए. लेकिन इतने बड़े निर्माण कार्य के नगरपालिका के ईओ प्रकाश डूडी या चेयरमैन ने पीडब्ल्यूडी व पीपीपी मोड में सड़क बनाने वाली एजेंसी से अनुमति लेना जरूरी नहीं समझा. 


बगैर अनुमति के चल रहे उक्त निर्माण पर पीडब्ल्यूडी व एजेंसी द्वारा बार बार चेताया गया. मगर फिर भी पालिका की कुम्भकर्णी नहीं टूटी तो फिर पीपीपी मोड के इंजीनियर ने उक्त निर्माण कार्य रुकवाकर कार्य करने पर पाबंदी ठोक दी.
 
जानकारी के लिए जब जी मीडिया संवाददाता ने ईओ प्रकाश डूडी को पूछा तो बगलें झांकते हुए कहते है कि में बाइट देने के लिए अधिकृत नहीं हूं. ऐसे में टेंडर निकालने वाले ज़िम्मेदार ईओ अधिकृत नहीं है तो आख़िर पालिका किसके भरोसे चल रही है. इससे साफ़ जाहिर होता है कि आदर्श आचार संहिता में जिम्मेदार अधिकारी इतने लापरवाह बने हुए है. 


उन्हे पता है कि आचार संहिता में उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. ऐसे में अब पालिका द्वारा उक्त टेंडर प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी, टेंडर बिलो में है या एबो में, फर्म लोकल है या साहेब के किसी जानकार की, एस्टिमेट व जी शेड्यूल आदि के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी जा रही है. ऐसे में जानकार सूत्र बताते है कि निर्माण में हेराफेरी की बू का होना या आना तय है. इतना ही नहीं.
पालिका उपाध्यक्ष प्रेमराज बोहरा ने भी पालिका ईओ प्रकाश डूडी पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग को आदर्श आचार संहिता में ​आनन—फानन में बिना बोर्ड बैठक व एम्पायर कमेटी की बिना अनुमति के निर्माण कार्य स्वीकृत करने की शिकायत कर ईओ पर कार्यवाही करने की मांग की है.


आपको बता दें कि शहर में बगैर इजाजत के एक निर्माण भी हो रहा हो तो पालिका का डंडा शहरवासियों पर दिन हो या रात हो तो भी चल जाता हैं. जबकि दूसरी ओर इजाजत देने वाले मालिक ही बगैर इजाजत निर्माण ऐसे करवा रहे थे जैसे नाथी बाई के बाड़े में होता है. बिना विभागीय अनुमति के चल रहे उक्त दो प्रवेश द्वार जो कि प्रति द्वार 73 लाख रुपये की लागत से बनना है. 


ऐसे में निर्माण कार्य में नियमों की अवहेलना पालिका के जिम्मेदार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की बड़ी लापरवाही को इंगित कर रही हैं. वही, नगरपालिका की ओर से लाखों की लगात से बन र​​​​हे प्रवेश द्वारों के निर्माण कार्य तो पालिका के अधिकारियों ने आचार संहिता से पूर्व बिना विभागीय अनुमति के शुरू करवा दिया. लेकिन निर्माण कार्य जल्द पूरा करने के चक्कर में ठेकेदार भी अपनी मर्जी से बिना पैमाने के निर्माण कार्य कर रहा है.


प्रवेश द्वारों की मजबूती के लिए बन रहे ​पीलर में सरीयों को आरसीसी की जगह ईटों से ढका जा रहा है. ऐसे में घटिया निर्माण से प्रवेश द्वारों की मजबूती पर शक जाहिर होना लाजमी है.नगरपालिका ईओ व तकनीकी कार्मिकों ने भी आधे पीलर के निर्माण तक ठेकेदार को घटिया निर्माण के लिए कोई चेतावनी या हिदायत नहीं ​दी.


इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ठेकेदार अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर किस तरह पालिका के लाखों रूपयों के निर्माण पर धब्बा लगा रहा है. लेकिन पालिका अधिकारियों को इससे कोई लेना—देना नहीं है. ऐसे में अब देखने वाली बात होगी की आख़िर इन लापरवाह अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं या फिर ऐसे ही मिलीभगत के खेल चलता रहेगा.


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