भीनमाल में धुलंडी के दिन होता है घोटा गैर का आयोजन, जानें ये अनोखी पंरपरा
Bhinmal News: जालोर के भीनमाल में होली के दूसरे दिन यानि धुलंडी के दिन परंपरागत घोटा गैर खेल का आयोजन होता है. बता दें कि यहां बुधवार को धुलंडी मनाई गई.
Bhinmal, Jalore News: प्रदेशभर में जहां लोग धुलंडी मना रहे थे, तो वही जालोर जिले के भीनमाल में शहरवासी रियासतकाल से चली आ रही परंपरागत घोटा गैर खेल रहे थे. यहां पर धुलंडी का पर्व बुधवार को मनाया गया है.
भीनमाल में ऐतिहासिक घोटा गैर का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में युवाओं व बुजुर्गों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया. भीनमाल शहर में शांति और भाईचारा को बढ़ावा देने के लिए राजा-महाराजाओं के शासन काल से चली आ रही परंपरागत भीनमाल की घोटा गैर यानी गैर नृत्य देशभर में अलग ही पहचान रखता है.
वही, घोटा गैर इस बार लोगों में खासा उत्साह देखा गया. वर्तमान समय मे देखा जाए तो गेरियों का हुड़दंग बहुत जबरदस्त होता है. गैर को लेकर बड़े चौहटे पर इस बार गैर का हुड़दंग जबरदस्त रहा. यहां पर ऐतिहासिक बाबैया ढोल पर युवाओं ने गैर नृत्य किया. नृत्य में बड़ा सा लठ या पेड़ की मोटी टहनी को युवा, बुजुर्ग हाथ में उठा कर बिना रुके गैर नृत्य कर रहे थे. वैसे देखा जाए तो आज भी गैर का उत्साह देखा जा सकता है, कई परंपरा लुप्त हो रही है, लेकिन भीनमाल में आज भी गैर का उत्साह अधिक देखने को मिलता है. हर साल सिर में किस न किसी गेरिये को चोट लग जाती है. भीनमाल की घोटा गैर अभी भी आकर्षण का केंद्र है और शहर के अपने विशेष त्यौहार के रूप में जीवंत है.
आपको बता दें कि घोटा गैर को लेकर सवेरे से ही विभिन्न गली-मोहल्लों में युवाओं के साथ बुजुर्ग भी सिर पर साफा और हाथ में लाठी लेकर नवीन परिधानों में सज-धजकर तैयार हो गए थे. गैर सामूहिक नृत्य करते हुए चंडीनाथ मंदिर पहुंचे. यहां पूजा-अर्चना के बाद गैर बड़े चौहटे के लिए रवाना हुई, जो विवेकानंद चौराहा, महालक्ष्मी मंदिर और सदर बाजार होते हुए शाम को बड़ा चौहटा पहुंची.
यहां करीब आधा घंटा तक परंपरानुसार चौहटे पर भीनमाल के प्रसिद्ध बाबैया ढोल पर चौहटे के चारों तरफ गैर खेलने का हुड़दंग जबरदस्त रह, तो वही सवेरे 36 कौम के घरों में गाजे-बाजे व ढोल के साथ गैरियों ने पहुंचकर नन्हे बच्चों को ढूंढ़ने की भी रस्म पूरी की. इधर कानून व शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में जगह-जगह पुलिस बल तैनात रहा.
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