Jalore: केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालय से ग्रेनाइट उद्योग और जालोर से सम्बंधित विभिन्न समस्याओं को लेकर ग्रेनाइट एसोसिएशन ने सांसद देवजी पटेल को मांग पत्र सौंपा. जालोर से जयपुर, दिल्ली और दक्षिण के शहरों के लिये सीधी रेल सुविधा शुरू करने की मांग रखी गई. जिसमें बताया कि देश की आज़ादी के 74 वर्ष बाद भी ग्रेनाइट सिटी जालोर से जयपुर और दिल्ली के लिये कोई भी सीधी रेल सुविधा नहीं है. 


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साथ ही दक्षिण के मुख्य शहरों चैन्नई , हैदराबाद , त्रिवेन्द्रम , कलकता के लिए सीधी रेल सुविधा नहीं है. इसी प्रकार कटेंनर रैक लोडिंग व्यवस्था शुरू करने को लेकर भी बात रखी. उन्होंने बताया कि जालोर एशिया का सबसे बड़ा ग्रेनाइट उत्पादन का केन्द्र हैं और पूरे विश्व में ग्रेनाइट सिटी आफ इण्डिया के नाम से मशहूर है. इस शहर में लघु और मध्यम श्रेणी के लगभग 1500 उद्योग और 600 खनन लीज कार्यरत हैं. जिस पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में करीब 25000-30000 परिवार आश्रित है. जालोर से ग्रेनाइट स्लेब ब्लॉकस् और ग्रेनाइट स्लरी पाउडर प्रतिदिन 400 से 450 ट्रक / ट्रेलर लोडिंग होकर दिल्ली, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटका, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, गोवा, पश्चिम बंगाल, बिहार, उतर प्रदेश , पजांब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़ सहित समस्त भारत के प्रदेशों में जाती हैं.


निर्यात के लिए 25 से 30 कटेंनर प्रतिदिन मुन्दरा / गाधीधाम पोर्ट के लिए जाते हैं. जिससे प्रतिदिन लगभग 20000-25000 टन माल का परिवहन होता है. हमारे जालोर ग्रेनाइट मण्डी में राष्ट्र राजमार्ग नहीं होने से लोडिंग ट्रकों का हमेशा अभाव रहता है. जिससे किराया बहुत ही अधिक रहता है. इस कारण ग्रेनाइट की दूसरी मंडियों की प्रतिस्पर्द्धा में जालोर पिछड़ रहा है. यदि जालोर / बागरा रेलवे स्टेशन पर कंटेनर लोडिंग करने की व्यवस्था शूरू की जाती है, तो हमारे व्यापार में वृद्धि के साथ रेलवे की आमदनी में भी वृद्धि होगी और मेक इन इण्डिया मिशन को बढ़ावा मिलेगा और विकास के नए आयाम स्थापित होंगे. 


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ग्रेनाइट और स्टोन इण्डस्ट्रीज को ऑरेन्ज से ग्रीन केटेगरी में शामिल किया जाए


पूर्व में ग्रेनाइट इकाइयों में स्टोन कटिंग और पॉलीश के लिये मशीनों में केरोसीन और कटिंग ऑयल का उपयोग होता था. जिससे निकलने वाली ग्रेनाइट स्लरी का उपयोग नहीं हो पाता था. उस स्लरी पाउडर से आंशिक प्रदूषण होने से पर्यावरण विभाग ने इसे ओरेन्ज केटेगरी में शामिल कर दिया गया था. पिछले पाँच - सात सालों के दौरान ग्रेनाइट कटिंग और पोलिशिंग मशीनरी में नई टेक्नोलोजी आने से केरोसिन / कटिंग ऑइल का उपयोग पूर्णतया बन्द हो गया हैं. अब कटिंग और पोलिशिंग करने के लिए बहुत ही कम मात्रा में पानी का उपयोग किया जाता है. 


उससे निकलने वाली ग्रेनाइट स्टोन पाउडर स्लरी का शत प्रतिशत पुनः उपयोग करते हुये इसका उपयोग सेरामिक / वेट्रीफाइड टाईल्स बनाने , ईट बनाने और निर्माण कार्य आदि में किया जाता है. इस स्थिति में ग्रेनाईट स्टोन पाउडर स्लरी से पर्यावरण पर किसी भी प्रकार का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है. वातावरण में वायु , जल किसी भी प्रकार का कोई भी प्रदुषण नहीं फैलता है. इसे ओरेन्ज से ग्रीन केटेगरी में लेने में लिये आवश्यक कार्यवाई करें. छोटे और कुटीर लघु उद्योगों को राहत मिल सकें. मेक इन इंडिया को बढावा मिल सकें. इसके लिये आवश्यक कार्यवाई कराने और ग्रेनाईट स्टोन पर जी.एस.टी. कम करवाने की मांग की गई. 


Report: Dungar Singh


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