Rajasthan News: जालौर मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित ओडवाडा गांव, जहां गुरुवार का दिन गांव वालों के लिए सबसे बड़ी बेबसी लेकर आया था. पूरा गांव हैरान और परेशान था, क्योंकि दो भाइयों का विवाद इतना बढ़ गया कि वो विवाद पूरे गांव के लिए परेशानी खड़ी कर गया. राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका के जरिए ओरण भूमि पर से अतिक्रमण हटावाने के आदेश जारी करवा दिया गया. पिछले तीन साल से ग्रामीण लगातार चक्कर काटते रहे, लेकिन ग्रामीणों को कहीं से राहत नहीं मिली. इसी बीच जिला प्रशासन ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच कर तीन दशकों से बसे ग्रामीणों के अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी. 


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268 मकानों को किया गया था चिन्हित 
बेबस ग्रामीण कहते रहे, चिल्लाते रहे, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं था. ग्रामीणों की मानें, तो प्रशासन उनको गुमराह करता रहा कि आप कोर्ट जाओ, लेकिन पीछे उनके आशियानों के बाहर बने छप्पर व दीवारों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई को अंजाम दिया गया. ग्रामीणों की मानें, तो सरकार ही उनके लिए सब कुछ है, लेकिन केवल दो भाइयों की लडाई ने पूरे गांव के आशियानों को खतरे में डाल दिया. गांव में 40 फीसदी भूमि ओरण क्षेत्र में होने की वजह से जिला प्रशासन कोर्ट के आदेश के बाद अतिक्रमण चिन्हित करने की कार्रवाई की गई. पहले जब प्रशासन ने अतिक्रमण चिन्हित किए, तो 440 मकान थे. बाद में कुछ स्थानों पर कार्रवाई करने के बाद हाईकोर्ट में नई रिपोर्ट पेश की उसके बाद अब 268 मकानों को अतिक्रमण मानते हुए चिन्हित किया गया था. 


टूटी दीवारों को देख बिलख पड़े ग्रामीण
प्रशासन की मानें, तो इनको 14 मई तक अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन उन्होंने नहीं हटाई, तो कार्रवाई की गई है. प्रशासन की कार्रवाई के बाद ग्रामीणों ने अपना हाल बताते हुए कहा कि गरीबों का नुकसान कर दिया. एक युवती ने बताया कि उसका तो सब कुछ बर्बाद कर दिया है. उसके पिता नहीं है, मां सहित परिवार में तीन महिलाएं हैं, लेकिन प्रशासन ने इस तरह की कार्रवाई कर उनको बेघर कर दिया है. वहीं, एक बुर्जुग का कहना था कि मुझे पटवारी ने राजस्थान हाईकोर्ट में जाने के लिए कहा, तो मैं वहां गया, लेकिन पीछे से मेरे मकान की दीवार तोड़ दी. हर ग्रामीण की जुबानी सिर्फ यही थी कि प्रशासन ने उनके आशियानों पर बुलडोजर चलाया है. हालांकि, प्रशासन ने अधिकांश घरों के बाहर की दीवारों को ही तोडा है. टूटी दीवारों एवं छप्परों को टकटकी लगाए देखते ग्रामीण बस यही कह रहे है कि दीवारे तो तोड़ दी, लेकिन भरी गर्मी में कहा जाए. क्योंकि बिजली कनेक्शन तक काट दिए है, उनको तो फिर से शुरू किया जाए. बता दें कि राजस्थान हाईकोर्ट ने बिना दस्तावेजों की जांच पड़ताल के अतिक्रमण हटाने पर रोक लगा दी है. 


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