झालावाड़ की यह स्पेशल मिठाई महंगी मिठाई पर पड़ रही भारी, विदेशों तक पहुंच रहे डिब्बे
Jhalawar News: झालावाड़ जिले के झालरापाटन शहर में ही कुछ गिने-चुने हलवाई फिनी बनाने की महारत जानते हैं, जिनके हाथों से बनी फिनी ना केवल झालावाड़ जिले व देश में नहीं बल्कि विदेशों तक अपनी मिठास पहुंचाती है.
Jhalawar News: राजस्थान के झालावाड़ जिले में दीपावली की उमंग व उत्साह दिखाई दे रहा है. त्योहार का नाम लेते ही मिठाइयों की मिठास भी जुबां पर आ जाती है. हालांकि बात झालावाड़ जिले में मिठाई की करें, तो शहर के वाशिंदे मिलावटी मावे की मिठाइयों से परहेज ही बरतते रहे हैं. इसका खास कारण है झालावाड़ जिले के झालरापाटन में बनने वाली परंपरागत मिठाई 'फिनी'.
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झालावाड़ जिले के झालरापाटन शहर में ही कुछ गिने-चुने हलवाई फिनी बनाने की महारत जानते हैं, जिनके हाथों से बनी फिनी ना केवल झालावाड़ जिले व देश में नहीं बल्कि विदेशों तक अपनी मिठास पहुंचाती है. खास बात यह है कि इसमें मावे का मिश्रण नहीं होता, इसलिए इस मिठाई में मिलावट का खतरा भी नहीं रहता, तो वही फिनी को करीब 3 से 4 महीने तक भी सहेज कर रखा जा सकता है, ऐसे में फिनी के पार्सल दूर देशों में बैठे रिश्तेदारों तक पहुचाये जाते हैं.
झालरापाटन के फिनी व्यवसाई गिरधर स्वीट्स के संचालक विराग जैन ने बताया कि उनका परिवार पिछले 5 पीढ़ियों से यानि करीब 200 वर्षों से झालरापाटन में फीनी बनाने का व्यवसाय कर रहा है. उनकी दुकान पर वर्षों पुराने कारीगरों के हाथों से ही शुद्ध फीनी बनाने का कार्य किया जाता है, जिसमे शुद्धता का भी पूरा ध्यान रखा जाता है.
फीनी मिठाई में मावे का का मिश्रण नहीं होता, इसलिए शुद्ध मैदा से बनने वाली मिठाई करीब 3 माह तक खराब भी नहीं होती और इसमें मिलावट की भी ग्राहकों को आशंका नहीं रहती. उनके कुशल कारीगरों द्वारा 4 तरह की फिनी बनाई जाती है, जिनके स्वाद व जायका भी अनोखा है.
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झालरापाटन के नागरिकों ने भी बताया कि त्योहारों के दौरान मिलावटी मिठाइयों से बचने के लिए स्थानीय व ग्रामीण व्यक्ति फीनी पर ही विश्वसनीयता जताता है. त्योहार पर एक दूसरे को भेजने के लिए अधिकांश लोग मिठाई के तौर पर फीनी का ही उपयोग करते हैं. ऐसे में शुद्ध फीनी की पसंद को अन्य महंगी मिठाइयां भी चुनौती नहीं दे पाती.