Jhalawar: जिला कारागृह के डीएसपी वैभव भारद्वाज द्वारा जेल के बंदियों को लेकर एक खास नवाचार किया जा रहा है. इसके तहत जेल में बंद अनपढ़ कैदियों को साक्षर करने का प्रयास शुरू किया गया है. इस प्रयास में सहयोग भी जेल में बंद शिक्षित बंदियों का ही लिया जा रहा. जेल प्रशासन का कहना है, कि लंबे समय से जेल में बंद अनपढ़ कैदियों को अक्षर और अंक ज्ञान मिलने पर वे जेल से बाहर निकलने पर अपना सामान्य जीवन पुनः शुरू करेंगे तो साक्षरता उनके जीवन को आसान करेगी.


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झालावाड़ के जिला कारागृह में इन दिनों कैदियों की पाठशाला चल रही है, जिला जेल में बंद करीब 168 निरक्षर कैदी इन दिनों जेल में चल रही पाठशाला में ककहरा सीखने में लगे हैं और उन्हें पढ़ा भी रहे हैं तो जेल में ही मौजूद कुछ शिक्षित बंदी जो निरक्षर बंदियों को साक्षर करने के प्रयास में जुटे हुए हैं और यह नवाचार किया है झालावाड़ जेल के डीएसपी वैभव भारद्वाज ने जिनके प्रयासों से जेल में बंद अनपढ कैदियों को साक्षर करने का प्रयास किया जा रहा है. धीरे-धीरे उन्हें अपने इस नवाचार में सफलता भी मिलने लगी और देखते ही देखते अनपढ़ कैदियों की पढ़ाई में रुचि बढ़ने लगी और अब कई बंदी इस जेल की पाठशाला में पढ़ते-पढ़ते, जहां अपना नाम लिखना सीख गए हैं तो वहीं कुछ कैदी अपने दैनिक जीवन में काम आने वाली शिक्षा भी ले रहे हैं.


झालावाड़ जेल के डीएसपी वैभव भारद्वाज ने बताया कि झालावाड़ जेल में करीब 168 अनपढ़ कैदी है, ऐसे में उन्होंने इन निरक्षर बंदियों को साक्षर करने का बीड़ा उठाया और इसके लिए उन्होंने तैयार किया जेल में ही बंद कुछ ऐसे शिक्षित कैदियों को जिनका आचरण अच्छा था और जिनमें अनपढ़ कैदियों को पढ़ाने की रुचि थी, इसके बाद उन्होंने अनपढ़ कैदियों के लिए ब्लैक बोर्ड, पेंसिल, स्लेट समेत पढ़ाई के चार्ट की व्यवस्था करवाई, इसके बाद जैसे ही जेल में ही पाठशाला शुरू हुई, तो कई अनपढ़ कैदी पढ़ाई में रुचि दिखाने लगे. धीरे-धीरे अन्य अनपढ़ कैदियों की भी जेल में चलाई गई पाठशाला से जुड़ते गए और कुछ दिनों में ही कई कैदी अपना नाम लिखना सीख गए हैं. कैदियों का कहना है कि वे अपना नाम नहीं लिख सकते थे रुपया गिरने में उन्हें परेशानी होती थी तो वहीं कहीं आने जाने में भी सड़कों पर लगे साइन बोर्ड को नहीं पढ़ पाते हैं, अब यहां शिक्षा मिली है तो उन्हें जीवन यापन में कभ आसानी हो जाएगी. जेल की पाठशाला में साक्षरता का ज्ञान ले रहे बंदी कारागृह के डीएसपी वैभव भारद्वाज का भी आभार जताते नजर आए.


चोरी लूट डकैती और हत्या जैसे संगीन अपराधों के कारण जेल में बंद कई अनपढ़ कैदी, जहां इस पाठशाला में पढ़ाई करके काफी खुश हैं, तो वहीं जरायमपेशा कंजर जाति के कई कैदी भी अब इस पाठशाला में नियमित रूप से 3 घंटे पढ़ाई करके अपने आने वाले जीवन में शिक्षित होने की राह पर चल निकले हैं. इन सभी कैदियों का कहना है कि वे जब भी जेल से बाहर निकलेंगे तो उसके बाद समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर अपने जीवन में इस शिक्षा के बदौलत कई अच्छे काम कर सकेंगे तो वहीं उन्हें अपनी दैनिक दिनचर्या की जिंदगी में भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा.


झालावाड़ की जिला जेल में चल रही इस पाठशाला में कैदी लगातार पढ़ाई करें और उनकी कक्षाएं नियमित रूप से चले इसके लिए जेल अधिकारी अपने अन्य कर्मचारियों के साथ लगातार निरीक्षण कर पढ़ाई और होमवर्क की जांच भी करते हैं. झालावाड़ जेल डीएसपी ने बताया कि अब कैदियों की इस पाठशाला के साथ ही उनका प्रयास है कि जेल में बंद कैदी अपना तनाव दूर करने के लिए योगा मेडिटेशन और मानसूनी सीजन में वृक्षारोपण के कार्य से भी जुड़ेंगे, जिससे जेल परिसर को हरा-भरा बनाया जा सकेगा.


Reporter: Mahesh Parihar