कुरंजा पधारे, झुंझुनूं के बांसियाल, खेतड़ी को टूरिस्ट स्पॉट बनाने की कवायद
Good News : कुरंजा का दिखना, बांसियाल गांव के लिए किसी बड़ी खुशखबरी से कम नहीं है. उन्होंने बताया कि बांसियाल में जगह-जगह दाना, पानी और पीने के लिए वॉटर बॉडीज़ को और अधिक दुरूस्त कराने के निर्देश दे दिए गए हैं.
Good News : राजस्थान के झुंझुनूं को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने की दिशा में अब और भी अच्छी खबर मिल रही है. प्रवासी पक्षी कुरजां झुंझुनूं के खेतड़ी में देखे गए है. दरअसल खेतड़ी में बांसियाल रिजर्व कंर्जेवशन को बतौर पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जा रहा है. बांसियाल के लिए अच्छी खबर तब आई. जब ग्रामीणों ने कुरजां को देखा और वन विभाग को सूचना दी.
सूचना पर मौके पर पहुंचे रेंजर विजय फगेड़िया ने पक्षियों को देखकर बताया ये प्रवासी पक्षी कुरजां है. जो मध्य यूरेशिया में निवास करते हैं, लेकिन प्रजनन के लिए ये भारत में भ्रमण के लिए आते है. कुरजां का भारतीय संस्कृति, धर्म और प्राचीन साहित्य में इसका बहुत महत्व है.
कुरंजा का दिखना, बांसियाल गांव के लिए किसी बड़ी खुशखबरी से कम नहीं है. उन्होंने बताया कि बांसियाल में जगह-जगह दाना, पानी और पीने के लिए वॉटर बॉडीज़ को और अधिक दुरूस्त कराने के निर्देश दे दिए गए हैं. रेंजर विजय फगेड़िया ने बताया कि बांसियाल में प्रवासी पक्षियों की किसी अतिथि की तरह सुविधा दी जाएगी. जिसके लिए टीम पूरे अलर्ट पर है.
खेतड़ी का इतिहास भी है गौरवशाली
देश की राजधानी दिल्ली से मात्र 160-65 किलोमीटर दूर राजस्थान की राजधानी जयपुर से 155 किलोमीटर की दूरी पर खेतड़ी है. रजवाड़ा के समय की बड़ी रियासत रहे खेतड़ी को जयपुर स्टेट की सबसे बड़ी रियासत का दर्जा हासिल है इसे प्रिंसली स्टेट के नाम से जाना जाता था. खेतड़ी का नाता नेहरू परिवार से भी रहा तो वहीं विवेकानंद और खेतड़ी नरेश राजा अजीत सिंह के रिश्ते पूरे विश्व में विख्यात है. खेतड़ी स्वामी विवेकानंद की कर्म स्थली रही थी. उस समय खेतड़ी रियासत का देश विदेश में बोलबाला था. यहां के अंतिम राजा सरदार सिंह बहादुर भारत के संविधान लिखने वाली टीम के सदस्य थे. वहीं उनको लाओस देश का राजदूत भी बनाया गया था.
खेतड़ी को टूरिस्ट स्पॉट बनाने की कोशिश
खेतड़ी, पर्यटक नगरी के रूप में विकसित हो रही है. आने वाले समय में ये एक बड़ा पर्यटक हब बनेगा. यहां के वन्य अभ्यारण में दर्जन से भी अधिक पैंथर वन्यजीव अन्य पक्षी मौजूद है. वहीं अजीत विवेक संग्रहालय पर्यटकों के मुख्य आकर्षण का केंद्र है.
खेतड़ी के वन्य अभ्यारण बांसियाल रिजर्व कंजर्वेशन और पास पड़ोस के क्षेत्रों में इन दिनों प्रवासी पक्षी कुरजा देखे जा रहे हैं. साथ ही बरसात के मौसम में अरावली की पहाड़ियों में कई जगहों पर झरने बहने लगे हैं. जिसके चलते शेखावाटी का ये क्षेत्र पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.
बरसात के मौसम में अक्सर भोपालगढ़ के कई मंदिरों में हरियाणा अन्य स्थानों से आने वाले पर्यटक साग रोटा बनाकर गोठ का आयोजन करते हैं. यहां वन्य अभ्यारण, अजीत विवेक संग्रहालय, भोपालगढ़, पन्ना सागर तालाब सहित कई ऐसे स्थल है. जिसको देखने के लिए पर्यटकों की अब आवाजाही बढ़ सकती है. वन विभाग के रेंजर विजय कुमार फगेड़िया ने बताया कि प्रवासी पक्षी कुरजा अक्सर अगस्त, सितंबर के माह में राजस्थान में शेखावाटी क्षेत्र में देखे जाते हैं. लेकिन खेतड़ी वन्य अभ्यारण अरावली की पहाड़ियों में बरसात के मौसम में हरियाली छाई हुई है.
ऐसे में प्रवासी पक्षियों के लिए ये एक सुरक्षित स्थान बन गया है, जिसके कारण कुरंजा और अन्य प्रजातियों के पक्षी यहां दिखाई दे रहे हैं. वन्य अभ्यारण में इनके दाना पानी के लिए सभी अन्य कर्मियों को अलर्ट कर दिया गया है, और समय-समय पर परिंडों में दाना पानी डलवाया जा रहा है.
रिपोर्टर- संदीप केड़िया
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