Jhunjhunu: उपराष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार झुंझुनू के अपने पैतृक गांव किठाना पहुंचे जगदीप धनखड़. उन्होंने मंच पर मौजूद लोगों को देखते हुए राजस्थानी में अपने मन की बात कही उन्होंने कहा कि 'स क्यूं बदल गो, आके देख ल्यो'. उपराष्ट्रपति ने राजनीति में बदलते दौर का जिक्र किया. उन्होंने अपने साथ ही सांसद नरेंद्र खीचड़ का जिक्र करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों में महिला शक्ति आगे बढ़ रही है. मंच पर उस समय धनखड़ की पत्नी सुदेश धनखड़ के साथ ही मंत्री ममता भूपेश, झुंझुनू की जिला प्रमुख हर्षिनी कुल्हरी, पंचायत समिति प्रधान इंदिरा डूडी और किठाना की सरपंच सुभिता धनखड़ भी मौजूद थी.


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पैसे की कमी के कारण किसी की पढ़ाई ना रुके


धनखड़ ने कहा कि वक्त बदल रहा है, वकालत के समय मैंने लाइब्रेरी के लिए ₹6000 का कर्ज लिया था. अब केंद्र सरकार की नीतियों से 5000 से 5 करोड़ से 25 करोड़ तक किसी को भी आसानी से मिल सकते हैं. जब मैं सांसद था तो 50 गैस कनेक्शन का कोटा होता था, अब 17 करोड़ गैस कनेक्शन लोगों को मिले हैं. इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि शिक्षा, पैसे की कमी के कारण किसी की पढ़ाई ना रुके. बच्चों पर स्ट्रेस मत दो वे जो करना चाहे उन्हें करने दो. मैं सैनिक स्कूल नहीं जाता तो आज हालात कुछ और होते मैं जो कुछ बना उसका मूल कारण शिक्षा ही है, मुझे स्कॉलरशिप मिली तो मैं सैनिक स्कूल जा सका.


मेरी बातों को राजनीतिक चश्मे से ना देखें


उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मेरी बातों को राजनीतिक चश्मे से ना देखें, राजनीति मेरे से कोसों दूर है. जब से राजनीति में आया सबको एक चश्मे से देखा. गाड़ी के कांच नीचे नहीं करना मजबूरी है. किठाना और किसान हर वक्त मेरे मन में रहते हैं. भारत की अर्थव्यवस्था बहुत आगे जाएगी गांव से बाहर कोई सामान नहीं ले इस तरह की सोच विकसित की जाए, प्रधानमंत्री खेतों की मेड़ पर पेड़ लगाने की बात करते हैं, पेड़ लगाकर हम क्लाइमेट चेंज की समस्या का सामना कर सकते हैं.


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