छोटी बच्चियों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक को पानी की दो बूंद के लिए तय करना पड़ता मीलों का सफर
झुंझुनूं जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महरमपुर गांव में आसमान से बरसती आग जैसी गर्मीं में अब घरों में लगी नलों ने पानी देना बंद कर दिया है. हर दिन छोटी बच्चियों से लेकर बुजुर्ग महिला तक पानी की दो बूंद के लिए कई किलोमीटर चलना पड़ता हैं.
Jhunjhunu: झुंझुनूं जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महरमपुर गांव में आसमान से बरसती आग जैसी गर्मीं में अब घरों में लगी नलों ने पानी देना बंद कर दिया है. हर दिन छोटी बच्चियों से लेकर बुजुर्ग महिला तक पानी की दो बूंद के लिए कई किलोमीटर चलना पड़ता हैं. जैसे ही पता चलता है कि गांव टंकी में पानी आ गया है, तो सभी एक साथ ऐसे जाते हैं कि मानों जरा सी भी देरी बड़ी आफत ले आएगी. गांव वालों को पानी के लिए कई किलोमीटर पैदल चलकर गांव की सार्वजनिक टंकी पर पहुंचकर घंटों लाइनों में लगकर कड़ी मशक्कत के बाद एक मटकी पानी नसीब हो पाता है.
गांव में पिछले 2 महीनों से गांव के लोग पेयजल समस्या का सामना कर रहें हैं. ग्रामीणों ने जलदाय विभाग के आला अधिकारियों से लेकर सरपंच तक गुहार लगाई, मगर उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई हैं, पानी को लेकर महिलाएं इस भीषण गर्मी में दर-दर भटक रही हैं. गांव की महिलाओं का कहना है कि नहाना तो दूर अगर पीने के लिए पानी का जुगाड़ हो जाए तो इस समय वह उनके लिए बड़ी उपलब्धि होगी. दूसरी तरफ जलदाय विभाग ग्रामीण अंचल में पेयजल संकट दूर करने को लेकर अनेक दावे करता है, लेकिन तस्वीर इसके उलट है, गांव में पेयजल की समस्या विकट रूप लेती जा रही है और पेयजल आपूर्ति के दावे अब महज कागजों में सिमट कर रह गए हैं. पेयजल आपूर्ति के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम में दर्ज हुई कुल शिकायतों का महज 20 प्रतिशत निस्तारण ही जलदाय विभाग कि ओर से किया जा रहा हैं.
Reporter - Sandeep Kediya
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