Jhunjhunu News: देशभर में कारगिल विजय दिवस मनाया गया. दो महीने तक चलने वाले इस युद्ध में 527 वीर शहीद हुए थे. इन शहीदों में 19 जवान केवल राजस्थान के झुंझुनू जिले से थे. झुंझुनू जिले के लाडलों ने सर्वाधिक शहादत इस युद्ध में दी थी. पाकिस्तान के नापाक मंसूबों का मुंहतोड़ जवाब देते हुए शहीद होने वाले राजस्थान के फौजियों में से हर दूसरा बेटा झुंझुनू का था. 


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करीब 2 महीने की जंग के बाद 26 जुलाई 1999 को युद्ध का समाप्त हो गया था. इस दिन को भारत में कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. 26 जुलाई को कारगिल विजय के 25 साल पूरे हुए हैं. इस सैन्य ऑपरेशन में राजस्थान के 60 जवान शहीद हुए थे. इनमें झुंझुनू जिले के बुहाना उपखंड मुख्यालय के नजदीकी गांव इन्द्रसर निवासी राजकुमार यादव भी कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे. राजकुमार अपने साथियों के साथ दुश्मनों से लोहा ले रहे थे, अचानक एक गोला उनकी पोस्ट पर आकर गिरा और मां भारती का ये लाडला अपनी मातृभूमि की गोद में हमेशा के लिए सो गया. 


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शहादत के 25 साल बीतने के बाद भी मां के जेहन में बेटे की यादें आज भी तरोताजा हैं. आज भी मां छोटा देवी सुबह शहीद की फोटो पर धूप- अगरबत्ती करते हुए दिन के कार्यों की शुरुआत करती है. शूरवीर योद्धाओं का नाम जब जेहन में आता है, तो फिर शहीद राजकुमार यादव की प्रेरणादायी व्यक्तित्व की चर्चा जरूर होती है. वीरगति प्राप्त होने से पूर्व राजकुमार ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हए दुश्मनों को नाको चने चबवाए थे. शहीद राजकुमार के भाई प्रताप सिंह ने बताया कि 22 साल की उम्र में शहीद हुए राजकुमार 1995 में सेना में भर्ती हुए थे. 


शहादत के समय राजकुमार के बेटे आशीष की उम्र डेढ़ साल थी वही बेटी नीरू कोख में थी. शहादत के 6 महीने बाद नीरू का जन्म हुआ. राज्य व केंद्र सरकार ने अलग-अलग दो नौकरी देने का वादा किया था. राज्य सरकार ने बेटे आशीष को नौकरी दे दी. जो कलेक्टर कार्यालय कोटपूतली में क्लर्क है. लेकिन केंद्र सरकार ने बेटी नीरू को अभी तक नौकरी देकर वादा पूरा नहीं किया. बेटी नीरू यादव वकालत की पढ़ाई कर रही है.