Jhunjhunu:  प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के नामों को लेकर अटकलें लगाई जा रही है. लेकिन झुंझुनूं दौरे पर आए प्रदेश कांग्रेस कमेटी ( State Congress Committee )के पूर्व अध्यक्ष और बीसूका उपाध्यक्ष केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त डॉ. चंद्रभान ( Dr. Chandrabhan ) ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. झुंझुनूं दौरे पर आए डॉ. चंद्रभान ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है.


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मुख्यमंत्री ( Chief Minister ) चुनने का पहला अधिकार चुने हुए विधायकों को होता है. इसके बाद विधायकों की राय के बाद आलाकमान उस नाम पर मोहर लगाता है. रविवार शाम को पार्टी के विधायकों की बैठक है, उसमें ना केवल विधायक, बल्कि किसी गैर विधायक को भी मुख्यमंत्री चुना जा सकता है. जिस पर आखिरी फैसला आलाकमान को लेना है. उन्होंने कहा कि वे इतना कह सकते हैं, बाकी सभी बहस बेकार की है. किसी भी जाति, वर्ग और धर्म का होगा, पर मुख्यमंत्री कांग्रेस का होगा. उन्होंने गैर विधायकों के रूप में डॉ. चंद्रभान और रामेश्वर डूडी के नाम की चर्चा पर कहा कि वे ना तो किसी दौड़ में हैं और ना ही ऐसी खुशफहमी पालते हैं. वह एक कार्यकर्ता हैं, जिन्हें जब पार्टी ने जो जिम्मेदारी है, उन्होंने निभाई है. उन्होंने कहा कि यह भी सच है कि कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष ( Congress National President ) एक बड़ी जिम्मेदारी है.


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जो पूर्णकालिक होनी चाहिए. वैसे भी उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में यह सैद्धांतिक रूप से तय किया जा चुका है कि एक व्यक्ति एक पद. इसलिए जो भी फैसला होगा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Chief Minister Ashok Gehlot ) और विधायकों की राय के बाद पार्टी का शीर्ष नेतृत्व तय करेगा. उन्होंने इस मौके पर मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा के बयान पर भी कहा कि हर विधायक को अपने मुख्यमंत्री के नाम का सुझाव देने का अधिकार है.


इसलिए उन्होंने इससे पहले बीसूका को लेकर कहा कि वह सितंबर के बाद फिर से प्रदेश के सभी जिलों में जाकर बीस सूत्री कार्यक्रमों की समीक्षा करेंगे. उन्होंने झुंझुनूं जिले की अब तक की परफोरेंस प्रदेश में सबसे अच्छी बताई. इससे पहले सर्किट हाउस पहुंचने पर डॉ. चंद्रभान का कांग्रेस नेता ( Congress leader ) डॉ. हरिसिंह साखंला और भालोठिया के नेतृत्व में स्वागत किया गया. इस मौके पर डॉ. चंद्रभान ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुना और आवश्यक समाधान के आश्वासन दिए.



पहले भी चल चुका है डॉ. चंद्रभान का नाम
पिछली गहलोत सरकार के वक्त डॉ. चंद्रभान पीसीसी के चीफ थे. तब विधानसभा चुनाव हुए तो डॉ. चंद्रभान को मुख्यमंत्री के रूप में देखा जाने लगा था. मंडावा में चुनाव लड़ने आए डॉ. चंद्रभान के पक्ष में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला ने भी उन्हें किसान कौम के मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित किया था. ऐसे में डॉ. चंद्रभान का नाम गैर विधायकों के दावेदारों में शामिल किया जाने लगा है.


पार्टी के प्रति वफादार, नहीं की बगावत 
डॉ. चंद्रभान किसान कम्यूनिटी के समझदार नेताओं में शामिल है. उन्होंने बीते दशकों में कभी भी पार्टी के खिलाफ ना तो कभी बयान दिया और ना ही कभी चुनाव लड़ा. पिछली बार उन्हें पार्टी के गठबंधन के चलते टिकट नहीं मिला तो वह बिना चुनाव लड़े ही रहे. ना ही उन्होंने किसी दूसरी जगह से चुनाव लड़ने की जिद की. अभी भी पार्टी के खेमेबाजी से डॉ. चंद्रभान कोसों दूर हैं. वे कांग्रेस खेमे को ही हमेशा तवज्जो देते आए हैं.


 Reporter- Sandeep Kedia