Jhujhunu news : उदयपुरवाटी कस्बे का रावण दहन प्रदेश का अनूठा रावन दहन है. यहां दशहरे के दिन रावण के पुतले के साथ - साथ उसकी सेना पर बंदूकों से अंधाधुंध गोलियां बरसाई जाती हैं. पहले सेना का खात्मा किया जाता है और अंत में मशाल बाण से रावण के पुतले को जलाया जाता है.
रावण दहन से पहले बंदूकों से गोलियां बरसाने की दादूपंथी समाज की यह परंपरा सैंकड़ों साल से चली आ रही है. यह परंपरा उदयपुरवाटी के जमात क्षेत्र में बसे दादूपंथी समाज के लोगों द्वारा निभाई जाती है. इसमें स्थानीय नगरपालिका भी सहयोग करती है.


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दहेन देखने हजारों लोग एकत्रित
 इसे देखने उदयपुरवाटी ही नहीं बल्कि आस—पास के गांवों से भी हजारों लोग एकत्रित होते हैं. उदयपुरवाटी में नवरात्र स्थापना के साथ ही दादूपंथियों का दशहरा उत्सव शुरू हो जाता है. जमात स्कूल में स्थित बालाजी महाराज के मंदिर में ध्वज फहराकर महोत्सव की शुरुआत की जाती है. नौ दिन चलने वाले दशहरा उत्सव में विभिन्न आयोजन होते हैं.


 दादू मंदिर में दादूवाणी के अखंड पाठ होते हैं. नवरात्र के पहले दिन परंपरागत तरीके से चांदमारी क्षेत्र में बंदूकों से रिहर्सल की जाती है. इसके बाद शस्त्र पूजन, कथा प्रवचन होते हैं. उत्सव के तहत विजय पताका फहराने के लिए रणभेरी, नोबत, ढोल, ताशा व झांझ बजने शुरू हो जाते हैं. दशहरा उत्सव के दौरान प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती व दादूवाणी के पाठ, चांदमारी की रस्म, श्री दादू मन्दिर एवं बालाजी मन्दिर में विशेष आरती होती रहती है.


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जुलूस के रूप हैरतंगेज करतब 
दादूपंथी पंचायत के पांचों अखाड़ों की ओर से संयुक्त रूप से रावण की सेना पर बंदूकों से निशाना लगाने के लिए चांदमारी क्षेत्र में नवरात्र से नौ दिन तक रोजाना अभ्यास किया जाता है. फिर दशहरे के दिन पांचों अखाड़ों का संयुक्त लवाजमा निकलता है. मां दुर्गा का हवन व शस्त्रों की पूजा के बाद शाम को लोग जुलूस के रूप हैरतंगेज करतब दिखाते हुए रावण दहन स्थल नांगल नदी पहुंचते हैं. यहां रावण के पुतले के साथ उनकी सेना को गोलियों को छलनी किया जाता है.


 सेना को  गोलियों से छलनी
 दादूपंथी समाज के इस अनूठे दशहरा महोत्सव में रावण की सेना भी देखने लायक होती है. यहां मिट्‌टी से बने असंख्य मटके रखे जाते हैं.इन्हें सफेद कलकर से पुतवाकर उन पर आंखें व मुह इत्यादि बनाए जाते हैं. इन मटकों को एक दूसरे के ऊपर इस तरह से रखा जाता है कि रावण के दोनों तरफ असली में सेना ही नजर आती है. सबसे पहले सेना को ही गोलियों से छलनी किया जाता है. इसके बाद रावण के पुतले का दहन किया जाता है.


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