Barmer: कहते हैं कि समाज में कुछ ऐसे माता-पिता होते हैं, जो बेटे और बेटियों में अंतर नहीं समझते हैं. हर माता-पिता की यही तमन्ना रहती है कि उसके बच्चे खुद के पैरों पर खड़े होकर समाज में नजीर बनें. किस्तूराम और अणसी देवी ऐसे सौभाग्यशाली माता-पिता हैं, जिनकी बेटी प्यारी चौधरी ने भारतीय सेना (Indian Army) में पश्चिमी राजस्थान की पहली महिला लेफ्टिनेंट (First  female lieutenant) बनकर समाज में उदाहरण प्रस्तुत किया है. अपने परिवार से इंडियन आर्मी (Indian Army) ज्वाइन करने वाली प्यारी छठी सदस्य हैं. भारतीय सेना (Indian Army) में लेफ्टिनेंट ( lieutenant) बनने के बाद पहली बार अपने गांव आने पर गांव वालों ने मंगल गीतों से प्यारी का जोरदार स्वागत किया गया.


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पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर (Western Rajasthan) जिले में किसी ज़माने में बेटियां अभिशाप मानी जाती थी, लेकिन आज यही बेटियां परिवार और बाड़मेर जिले का नाम रोशन कर रही हैं और उन्हीं में से एक है राऊ जी का ढाणी का खेड़ा की रहने वाली प्यारी चौधरी, जिनका भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट पद चयन हुआ है. हाल में ही अपनी ट्रेनिंग करके पहली बार अपने गांव लौटी हैं.


गांव वालों ने मंगल गीतों से किया बिटिया का स्वागत
प्यारी चौधरी जब पहली बार गांव लौटी तो गांव वालों ने देसी अंदाज में मारवाड़ी मंगल गीत गाकर बिटिया का जोरदार स्वागत किया. प्यारी चौधरी ने बताया कि उनकी पढ़ाई लिखाई सेना की स्कूलों में हुई है. पिता और परिवार के लोग सेना में थे, इसलिए मेरी और मेरे परिवार की इच्छा थी कि मैं भी सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा कंरु. मेरा यह सपना अब पूरा हो गया है.


प्यारी चौधरी ने सेना में कमीशन प्राप्त करने के लिए ऑल इंडिया लेवल पर लिखित परीक्षा मेरिट प्राप्त कर इंटरव्यू सहित मेडिकल टेस्ट पास कर, पहली बार में ही लेफ्टिनेंट (lieutenant) के लिए चुनी गई. प्यारी चौधरी बताती हैं कि आम तौर पर हमारे यहां बेटियों को छोटी उम्र में शादी के बंधन में बांध दिया जाता है, जिसके चलते ऐसी कई बेटियां होती हैं, जिनके सपने अधूरे रह जाते हैं. मैं उन मां-बाप को से कहना चाहूंगी, कि बेटियों को अपने सपने पूरे करने दिया जाए. अब मेरा सपना है कि मैं सिविल सर्विसेज में अपना भाग्य आजमाऊंगी.


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पिता सेना में सूबेदार, बेटी बनीं लेफ्टिनेंट
प्यारी के पिता किस्तुराराम चौधरी भारतीय सेना में वर्तमान में सूबेदार के पद पर तैनात हैं. पिता को आज अपनी बेटी की सफलता पर नाज़ है. पिता किस्तूराराम बताते हैं कि आज बेटी ने पूरे परिवार के साथ साथ पूरे गांव का नाम रोशन किया है. एक पिता के लिए इससे बड़ा गर्व क्या होगा जब पिता से ऊपर रैंक पर बेटी ने अपना मुकाम पाया है. मैं उन मां-बाप उसे कहना चाहूंगा, जो अपनी बेटियों को नहीं पढ़ाते हैं, और उनके सपनों को चकनाचूर कर देते हैं, उन्हें अब बेटियों को आगे बढ़ाना चाहिए.


कोई भी महिला तभी आगे बढ़ सकती है, जब उसका परिवार पूरी तरह से उसके साथ हो. उसी की बदौलत प्यारी चौधरी न केवल पहली पश्चिमी राजस्थान की पहली बेटी लेफ्टिनेंट बनने का गौरव हासिल किया, बल्कि पूरे बाड़मेर जिले में उसकी सफलता की लोग मिसाल दे रहे हैं.


Reporter- Bhupesh Acharya