Coronavirus Return : वायरस (Virus) करीब 350 करोड़ साल पहले धरती पर आए थे.  असलियत  में वायरस अब जिंदा है, या मरे हुए. इसका पता चलाना मुशकिल होता है, क्योकि जब इंसान ये समझता है कि वायरस खत्म हो गया है तब वह अपना मुंह फाड़े फिर से दुनिया में हाहाकार मचाने के लिए समाने आना शुरू हो जाता है. 


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 उनका जेनेटिक मटेरियल हमारे अपने DNA में शामिल है. बता दें कि  इंसान के जीनोम का 10 फीसदी हिस्सा वायरस के जेनेटिक हिससे से बनता है. इसलिए ये  आसानी से हमारी धरती पर अधिकतर जीवों पर अटैक कर सकते हैं.  जिसमें  छोटा बैक्टीरिया, पेड़-पौधें हों या फिर इंसान या जानवर शामिल हो सकते है.


  जहां तक बात रही कोरोना वायरस (Coronavirus) की तो इस वायरस ने अब तक दुनिया में कोहराम मचा रखा है. विश्व के हर देश में इसने अपनी दस्तक देते हुए हाहाकार मचाया है.  इस वायरस  से तकरीबन हर उम्र के इंसान तथा जानवर ने को हुआ है.  पिछले तीन साल से किसी भी सेलिब्रिटी की तरह गूगल( Google)  के सबसे ज्यादा सर्च किए गए शब्दों में से यह एक है. कोरोना तो नया है लेकिन वायरस आए कहां से. कब हुई थी उनकी उत्पत्ति. इसको लेकर हर किसी के मन में उठा पठक रहती है तो चलिए जानते है नेचर ऑफ वायरस और इसके राइसिंग के किस्से. 


असल में कोई भी वायरस किसी भी समय अपना रूप बदल सकता है. ये एक ऐसा राक्षस है, जो अपने शरीर के किसी भी अंग से नया वायरस पैदा कर सकता है. जैसे कोरोना कर रहा है. नए-नए वैरिएंट्स और सब-वैरिएंट्स आ रहे हैं. 



किसी भी वायरस के चारों तरफ एक प्रोटीन की लेयर होती है. जिसे कोशिका से लिपिड चुराना होता है. इस होस्ट कोशिका के शरीर से लिपिड लेकर वायरस उसी के ऊपर खुद का नया क्लोन बना लेता है.  नई ताकत वाला नया वैरिएंट. ये बात वैज्ञानिकों को पता है. लेकिन इसकी सच्चाई जानने के लिए टाइम मशीन लेकर करीब 400 करोड़ साल पहले जाना पड़ेगा. नहीं कुछ तो कम से कम कुछ सौ लाख साल पहले. 


वायरस का आम व्यवहार है खुद का क्लोन या वैरिएंट बनाने के लिए संक्रमण को फैलाना. वायरसों की दुनिया एकदम अलग है. भरपूर विभिन्नता के साथ. इनकी दुनिया अन्य बायोलॉजिकल जीवों से भिन्न है. जैसे- पोलियोवायरस इनमें RNA जीनोम होता है. वहीं हर्पीसवायरस में DNA जीनोम होता है. 


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