जोधपुर: जिले के लूणी क्षेत्र में इस बार अच्छी मानसून की बारिश के बाद किसानों ने खेतों में बोई हुई फसलें चारों तरफ हरियाली दिखाई दे रही है. वहींं, किसानों ने खरीफ फसल अंकुरित होने के बाद निराई गुड़ाई का काम शुरू कर दिया है. वहीं, किसान सुबह से शाम तक खेतों में पसीना बहाकर खरीफ फसल को बनाने में जुटा हुआ है.फसल अंकुरित होने पर शुरुआती लक्षण काफी अच्छे दिखाई दे रह हैं.


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वहीं, खेतों में पौधा पूरी तरह से विकसित होकर अंकुरित हुआ है. जिले में अधिकांश किसानों द्वारा पारंपरिक खेती की जाती है. इसमें प्रमुख रूप से बाजरा, मुंग. मोठ. तिल. ग्वार, और ज्वार की फसलें है. अच्छी बारिश के बाद फसल काफी अच्छी अंकुरित होने पर शुरुआत में किसानों के चेहरों पर रौनक देखी जा रही है, लेकिन दूसरी तरफ बारिश कम होने पर चिंता भी सता रही है. फसल की निराई गुड़ाई होने के बाद बारिश का होना नितांत आवश्यक है. वहीं बारिश होने के बाद ही किसान खेतों में खाद यूरिया का उपयोग करता है.किसानों ने बताया कि खेतों में निराई गुड़ाई होने के बाद पानी की सख्त जरूरत होती है.


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खरीफ फसल के लक्षण अच्छे


निराई गुड़ाई के बाद पहला पानी फसल को मिलने पर खाद एवं यूरिया दिया जाता है. उसके बाद पौधा पूरी तरह से विकसित हो पाता है. तब जाकर किसान को मापदंड के मुताबिक उत्पादन मिलता है. किसानों ने कहा कि खरीफ फसल अंकुरित होने के बाद शुरुआती लक्षण काफी अच्छे दिखाई दे रहे हैं.वहीं मौसम के मिजाज ने फसल के अनुकूल साथ दिया तो किसान मेहनत के मुताबिक पैदावार हासिल कर सकते हैं. वहीं, किसान श्रवण मैलबा ने बताया कि अभी पछेती बिजाई की गई है. उन्हें अभी अंकुरित होने में समय लगेगा. अगेती बिजाई की फसल बड़ी हो चुकी है. इससे किसान अपने खेतों में निराई गुड़ाई करके फसल में खाद आदि डालने का प्रयास है. किसान अगेती फसल उगा कर खुश है जो अब बड़ी हो चुकी है. इस तरह मारवाड़ में खेतों में लहरा रही बाजरे की फसल निदाण करती महिलाएं नजर आ रही हैं.


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