Jodhpur : अग्निपथ योजना के खिलाफ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के गृह जिले जोधपुर में युवा हुंकार रैली की. और इस योजना को वापिस लेने तक मांग पर अड़े रहने के आह्वान किया. 


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आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल नागौर से सांसद है. उनके भाई नारायण बेनीवाल नागौर की खींवसर विधानसभा सीट से विधायक है. पार्टी के कुल तीन विधायकों में से 2 विधायक नागौर के है. जोधपुर की तुलना में नागौर राजधानी जयपुर के भी करीब है लेकिन बावजूद इसके हनुमान बेनीवाल ने रैली के लिए जोधपुर को ही क्यों चुना. रैली के लिए जोधपुर का चुनाव रणनीतिक रुप से काफी अहम माना जाता है. 


जोधपुर में हुंकार रैली के सियासी मायने


हनुमान बेनीवाल लंबे समय से खुद को राजस्थान में तीसरे विकल्प के तौर पर पेश कर रहे है. ऐसे में राजस्थान की सियासत के दो बड़े चेहरे, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर से ही आते है. लिहाजा जोधपुर सियासी तौर पर काफी अहम हो जाता है. यहां रैली में हजारों लोगों की भीड़ जुटाकर एक तरह से हनुमान बेनीवाल ने दोनों दलों और उसके नेताओं को सियासी संदेश भी दे दिया है. 


अग्निपथ के खिलाफ रैली एक तरह से 2023 के विधानसभा चुनावों का आरएलपी की तरफ से शंखनाद माना जा रहा है. ऐसे में एक बड़ी रैली कर प्रदेशभर में सियासी संदेश देने के लिए हनुमान बेनीवाल के लिए ये मुद्दा भी काफी मुफीद रहा. रैली में भीड़ जुटाकर हनुमान बेनीवाल अपनी सियासी ताकत का संदेश देने में भी कामयाब रहे है.


कोर वोटबैंक पर नजर


हनुमान बेनीवाल जिस कोर वोटबैंक पर नजरें बनाए हुए है. वो बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, चूरू और बीकानेर जिलों में है. ऐसे में अगर वो जोधपुर की बजाय नागौर या जयपुर में रैली करते तो इन जिलों से काफी दूरी पड़ती. जिससे लोग भी कम संख्या में पहुंचते. ऐसे में जोधपुर में रैली होने से पश्चिमी राजस्थान के सभी जिलों से अच्छी खासी संख्या में भीड़ जुटाने में कामयाब रहे.


मदेरणा परिवार को चुनौती


इस रैली में हनुमान बेनीवाल ने भले ही बीजेपी कांग्रेस पर सियासी बयानबाजी की हो. उनके निशाने पर अशोक गहलोत सरकार के साथ साथ केंद्र की मोदी सरकार रही हो. लेकिन जोधपुर में रैली में हजारों की भीड़ जुटाकर बेनीवाल ने जाट समाज में भी ये संदेश देने की कोशिश की है. कि अब वही इस समाज के नेता है. ऐसे में बेनीवाल की ये रैली जितनी अशोक गहलोत या केंद्र सरकार के लिए चुनौती के रूप में थी. उससे कहीं ज्यादा ये रैली मदेरणा परिवार की विरासत संभाल रही दिव्या मदेरणा के लिए भी थी. 


दरअसल हनुमान बेनीवाल की रणनीति खुद को प्रदेश में सर्वस्वीकार्य जाट लीडर के तौर पर स्थापित करने की है. इस रास्ते में मौजूदा वक्त में सबसे बड़ी चुनौती मारवाड़ के जाट बेल्ट में सम्मान से देखा जाने वाला मदेरणा परिवार है. जिसकी कमान फिलहाल दिव्या मदेरणा के हाथों में है. अब देखना होगा कि हनुमान बनेवाली के इस शक्ति प्रदर्शन का दिव्या मदेरणा कैसे जवाब देती है.


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