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Groom For Wedding: शादी के दौरान दूल्हे की सैलरी को लेकर बात करना नया नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में यह चर्चा और बढ़ गई है. खासकर IT इंडस्ट्री में काम करने वाले दूल्हों के लिए सैलरी की जो उम्मीदें बनाई जा रही हैं, वे अब समाज में एक गंभीर विषय बन चुकी हैं. हाल ही में एक निवेशक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इस पर अपनी चिंता जताई, जिसके बाद यह मुद्दा सोशल मीडिया पर गर्मागर्म बहस का कारण बना.
निवेशक ने कहा- सैलरी की उम्मीदें बेतुकी
निवेशक ने अपनी पोस्ट में कहा, "शादी के दौरान दूल्हे की सैलरी को लेकर उम्मीदें असामान्य रूप से बढ़ गई हैं. अगर दूल्हा IT सेक्टर में है तो 1 लाख रुपये प्रति माह की सैलरी भी मान्य नहीं की जा रही है. माता-पिता की मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है. 28 साल का लड़का कैसे 1-2 लाख रुपये कमाकर अपना खुद का घर और कार खरीद सकता है? आपकी पीढ़ी ने ये सब रिटायरमेंट के बाद किया था." निवेशक की यह कमेंट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई, और कई लोग इससे सहमत दिखे.
सोशल मीडिया पर गहरी बहस
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी. एक यूजर ने लिखा, "आजकल हर कोई करोड़पति बनना चाहता है, लड़की के गुणों की कोई अहमियत नहीं है." वहीं, एक अन्य व्यक्ति ने लिखा, "लड़के वालों को लड़की के बाप से पूछना चाहिए कि आपके समय में किस उम्र में यह सब हासिल कर लिया था, जो आप लड़के से मांग रहे हो."
कुछ यूजर्स ने यह भी बताया कि यह स्थिति उन लड़कों के लिए और बढ़ जाती है जो अमीर परिवारों की लड़कियों से शादी करना चाहते हैं. एक यूजर ने कहा, "अगर आप अमीर परिवारों से मैच करना चाहते हो, तो यह उम्मीदें स्वाभाविक हैं. ये अपेक्षाएं उस परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती हैं."
मिडिल क्लास लड़कों का दर्द
मिडिल क्लास लड़कों का दर्द भी इस चर्चा में उभर कर सामने आया. एक व्यक्ति ने कहा, "मजेदार बात यह है कि इस देश में मिडिल क्लास लड़कों का मूल्य सिर्फ इस बात पर तय किया जाता है कि आप दूसरों के मुंह में कितने पैसे डाल सकते हो. अगर आप ऐसा करते हो तो आप सभी के लिए प्यारे होते हो, लेकिन अगर एक दिन भी आप असफल हो जाते हो तो आप सबसे बड़े खलनायक बन जाते हो."
सैलरी के बजाय मानसिकता पर आधारित शादी का सुझाव
कुछ यूजर्स ने यह भी सलाह दी कि लोगों को सैलरी के सवालों से बचने के बजाय सिंगल रहना बेहतर है. एक यूजर ने कहा, "अगर शादी करनी है तो यह मन और सोच के मेल से होनी चाहिए, न कि आर्थिक स्थिति और पद से. ऐसे लेन-देन में कभी भी सफलता नहीं मिल सकती." इस पूरे मुद्दे ने समाज में एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है- क्या हमें रिश्तों और शादी के मानदंडों को अपनी मानसिकता और समझ से जोड़ने की आवश्यकता नहीं है?