Ashok gehlot : अशोक गहलोत की राजनीति में कैसे हुई एंट्री, चने खाकर लड़ा पहला चुनाव लेकिन हार गए
Ashok gehlot News : अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे है. राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रहने के अलावा भी लंबा राजनीतिक सफर है. इंदिरा गांधी से लेकर संजय गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के बाद अब सोनिया गांधी राहुल गांधी के दौर में भी कांग्रेस के मजबूत स्तंभ के रुप में बने हुए है. आज बात उनकी सियासी एंट्री और पहले चुनाव की.
Ashok gehlot News : अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के दावेदार बनने से पहले भी इंदिरा गांधी से लेकर संजय गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के बाद अब सोनिया गांधी राहुल गांधी के दौर में भी कांग्रेस के मजबूत स्तंभ बने रहे. अशोक गहलोत छात्र जीवन से ही NSUI से जुड़ गए थे. जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में ग्रेजुएशन किया. और उसके बाद अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की. यहीं JNVU जोधपुर में ही छात्रसंघ सचिव पद का चुनाव लड़ा लेकिन वो चुनाव भी वो जीत नहीं पाए. बाद में 1977 में सरदारपुर विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव लड़ा. चुनाव लड़ने के लिए अपनी बाइक भी 4 हजार रुपए में बेच दी. लेकिन चुनाव जीतने में कामयाब नहीं रहे.
इंदिरा गांधी और अशोक गहलोत
अशोक गहलोत कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI से जुड़े हुए थे. 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ. तो बड़ी संख्या में शरणार्थी नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में आए. भारत सरकार ने उनके लिए बड़ी संख्या में कैंप बनाए. अशोक गहलोत NSUI के कार्यकर्ता के रुप में इन शरणार्थी शिविरों में काम करने पहुंचे. यहीं पर इंदिरा गांधी की उन पर नजर पड़ी. जनसेवा के प्रति उनके समर्पण और मेहनत को देखकर इंदिरा गांधी का आशीर्वाद मिला. जिसके बाद राजस्थान NSUI में उनको बड़ी जिम्मेदारी मिली.
ये भी पढ़ें- अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते बीडी कल्ला को CM बनाने की हुई थी तैयारी, फिर कैसे बिगड़ा गणित
सरदारपुरा से पहला विधानसभा चुनाव
अशोक गहलोत 1973 से 1979 तक राजस्थान NSUI के प्रदेशाध्यक्ष रहे. इसी बीच आपातकाल का दौर भी बीता. आपातकाल में मोटे तौर पर कमान संजय गांधी के हाथों में थी. और उनकी टोली में NSUI से जुड़े कई युवा नेता था. अशोक गहलोत और संजय गांधी के बीच भी करीबी बढ़ने लगी. इमरजेंसी खत्म होने के बाद 1977 में देशभर में आम चुनाव हुए. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए जोधपुर की सरदारपुरा सीट से अशोक गहलोत को टिकट दिया गया. अशोक गहलोत ने चुनाव जीतने के लिए काफी मेहनत भी की. लेकिन 4329 वोटों से चुनाव हार गए.
ये भी पढ़ें- अशोक गहलोत की वो योजनाएं जिससे राजस्थान ने देश में मॉडल स्थापित किया
विधानसभा हारे लेकिन लोकसभा चुनाव में टिकट
जोधपुर की सरदारपुरा सीट से चुनाव हारने के बावजूद अशोक गहलोत के सियासी सफर की सेहत पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा. साल 1979 में अशोक गहलोत को जोधपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी का जिलाध्यक्ष बनाया गया. 1982 तक वो इस पद पर रहे. 1980 में देश में मध्यावधि चुनाव हुए. तो संजय गांधी से दोस्ती की वजह से कांग्रेस ने जोधपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया.
अशोक गहलोत साल 1980 में जोधपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे. तो उनकी आर्थिक स्थिति ज्यादा ठीक नहीं थी. लिहाजा उन्हौने दोस्त के सैलून की दुकान में अपना कार्यालय खोला. दोस्त के स्कूटर से ही चुनाव प्रचार के लिए जाया करते थे. 1980 के लोकसभा चुनावों में अशोक गहलोत 52 हजार 519 वोटों से चुनाव जीते. इस जीत के बाद अशोक गहलोत ने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.