Lumpy skin disease: जोधपुर के लूणी क्षेत्र में गौवंश में फैली लंपी स्किन वायरस की रोकथाम के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ पशु चिकित्सा विभाग के और सामाजिक संगठन देशी उपचार का प्रयोग कर रहें है. देशी उपचार लंपी वायरस को रोकने में काफी कारगर भी साबित हो रहा है, जिसकी बदौलत आज लंपी स्किन वायरस पर नियंत्रण होता देखने को भी मिल रहा है. क्षेत्र के सतलाना, दुदिया, फीच, धुंधाड़ा, कांकाणी, मोगड़ा सहित अन्य कई ग्राम पंचायतों पर लंपी पीड़ित पशुओं को काल कलवित होने से बचाने में जुटे स्वयं सेवी, पर्यावरण प्रेमी, कामधेनु सेना सहित तमाम अधिकारी कर्मचारी एवं भामाशाहों के सहयोग पहली बार गौधन को बचाने के लिए व्यापक तौर पर देशी इलाज का सहारा लिया जा रहा है.


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वर्तमान की स्थिति को देखा जाए तो सरकार के पास न तो संसाधन है, न पशु चिकित्सकों की टीम और न ही लंपी स्किन के लिए कारगर दवाइयां. अगर सिर्फ लूणी क्षेत्र की बात करें तो दस पशु चिकित्सालय, पंद्रह उप पशु चिकित्सालय ही हैं, जिनमें दस पशु चिकित्सक एवं बारह पशु सहायक ही कार्यरत हैं. जो क्षेत्र के लिए निश्चित रूप से अपर्याप्त है. जिसके चलते पशुपालकों को देशी इलाज पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है, जो गौवंश को बचाने के लिए काफी कारगर साबित हो रहा है.


गौवंशो को खिला रहें औषधियों के मिश्रण से बने लड्डू 


देशी उपचार में हल्दी, फिटकड़ी, गोंद, देशी घी सहित कई महत्वपूर्ण औषधियों के मिश्रण से बने लड्डू बना कर गौवंशो को खिलाएं जा रहें हैं, जिसका परिणाम भी सामने आ रहा है. औषधियों के मिश्रण से बने लड्डू से कई गोवंश को संक्रमित होने से बचाने में क्षेत्रवासी कामयाब साबित हुए हैं. इससे पहले शुरूआत में गौवंश के मौत होने के आंकड़ डराने वाले थे, लेकिन अब इस देशी उपचार के बाद काफी हद तक लगाम लगी है, जो राहत भरी खबर है.


पशु चिकित्सालय के नोडल अधिकारी जुटें उपचार में 


लूणी के पशु चिकित्सालय के नोडल अधिकारी डॉक्टर राजकुमार माथुर लगातार लंपी स्किन से पीड़ित पशुओं के उपचार में जुटें हैं. उन्होंने मीडिया के मार्फत पीड़ित गौवंश को समय पर आइसेलेट करने और आवश्यक सावधानियां बरतने के कई वीडियो जारी कर गौवंश की जान बचाई है. पशु चिकित्सक माथुर का कहना है कि लंपी पीड़ित पशुओं के मामले अब नगण्य है, लेकिन पशुओं में गाठें फूटने से मक्खियां भिनभिनाने से घाव पर कीड़े पड़ने के मामले सामने आ रहें हैं, जिससे पशुओं की जान जा सकती हैं. ऐसे में पशुओं के घावों पर दवाइयां या मरहम लगाकर सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि उन पर मक्खियां न भिनभिनाऐ और संक्रमण से बचा कर गौवंश की जान बचाई जा सके.


बेसहारा गौवंशों की बात करें तो सामाजिक संगठनों ने सबसे अधिक उपचार कर बेसहारा गौवंशो को बचाया है. जिसके कारण आधे से अधिक गौवंश रिकवर हुए हैं, जो राहत की खबर है. हालांकि राज्य सरकार को भी लंपी स्किन बीमारी से सबक लेकर राज्य में पशु चिकित्सालय पंचायत स्तर पर खोलने की जरूरत को पूरा करना चाहिए, साथ ही पशु पालकों का सर्वे कर लंपी स्किन से मारे गए गौधन का मुआवजा देकर उन्हें आर्थिक रूप से संबल देना चाहिए.


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