Luni: यूरोप ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में आम नागरिकों को कोविड काल के दौरान मिले कोविड अलाउंस ने जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट को बढ़ा दिया. दरअसल कोविड-19 के दौरान जर्मनी, न्यूजीलैंड व आस्ट्रेलिया के अलावा कई यूरोपियन देशों में आम नागरिकों को कोविड-19 अलाउंस दिया गया था, जिसे लोगों ने फर्नीचर पर खर्च किया, क्योंकि कोविड के दौरान अधिकांश देशों में वर्क फ्रॉम होम चल रहा था और लोगों के बाहर जाने पर रोक की बाजार बंद थे तो लोगों ने घर के फर्नीचर व डेकोरेशन पर ध्यान दिया.


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जिससे काफी ऑर्डर हैंडीक्राफ्ट उद्यमियों को मिले इसके अलावा अमेरिका और चाइना के बीच हुए ट्रेड वार का भी भारत को काफी फायदा हुआ और इसकी वजह से अमेरिका में चाइना का एक्सपोर्ट कम हुआ तो भारत के फर्नीचर उद्योगों को ज्यादा ऑर्डर मिलने लगे और कोरोना काल के बाद जोधपुर का हैंडीक्राफ्ट उद्योग का एक्सपोर्ट करीब 550 करोड़ रुपए बढ़ गया है. एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसलिंग फॉर हैंडीक्राफ्ट के आंकड़ों के अनुसार पिछले 5 सालों में  800 करोड़ रुपए से ज्यादा एक्सपोर्ट बढ़ गया है. 


वहीं, विदेश जाने वाले सालाना कंटेनर की संख्या में भी 6000 की संख्या बढ़ गई है. पिछले 5 सालों में केवल वर्ष 2020 -21 को छोड़कर लगातार एक्सपोर्ट के आंकड़े बढ़ रहे हैं. ई पी सी एच के सदस्य और जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव मनीष पुरोहित के अनुसार पिछले 1 साल में एक्सपोर्ट के आंकड़ों में करीब 550 करोड़ का इजाफा हुआ है. कोविड के दौरान वर्ष 2020-21 में लॉकडाउन की वजह से एक्सपोर्ट यूनिट को बंद रखना पड़ा था, जिससे एक्सपोर्ट कम हो गया था और करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए की गिरावट आई थी लेकिन इसके बाद एक्सपोर्ट्स ने गति पकड़ ली वर्ष 2021-22 के एक्सपोर्ट आंकड़े के अनुसार करीब 3700 करोड़ का एक्सपोर्ट हुआ और यह एक्सपोर्ट गत वर्ष के मुकाबले में 550 करोड रुपए अधिक है.


वहीं, शहर से वर्ष 2020- 21 में विदेश जाने वाली कंटेनर्स की संख्या में भी करीब 6000 कंटेनर्स बढ़े हैं. वहीं, जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के कार्यकारी सदस्य मयंक राठी ने बताया कि वैसे तो इस बार एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी हुई है लेकिन अभी भी कई चुनौतियां हैंडीक्राफ्ट उद्योगपतियों के सामने हैं अगर सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देती है तो उद्योग को काफी राहत मिल सकती है कंटेनर की संख्या बढ़ाई जाए पोर्ट तक जाने के लिए सुविधाएं और नई फैक्ट्री लगाने वाले एमएसएमई के अंतर्गत युवा उद्यमियों को प्रोत्साहन मिले क्योंकि अभी सारा मशीनरी बेस फैक्ट्रियां लग रही है. ऐसे में सरकार कुछ रियायत दे और रॉ मैटेरियल्स और हार्डवेयर जो चीजें बाहर से आती है उसकी भी इंडस्ट्री यही लगे और रॉ मेटेरियल यहीं पर मिले तो हैंडीक्राफ्ट बिजनेस में और ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सकता है.


वाकई पश्चिमी राजस्थान का हैंडीक्राफ्ट उद्योग आज पूरे विश्व में अपनी धाक जमाए हुए हैं. ऐसे में सरकार इस ओर थोड़ा सा ध्यान दें तो ना केवल बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा अपितु सरकार के राजस्व में भी काफी वृद्धि होगी.