Jaisalmer: प्रतिभा-संसाधनों की कमी और शहर की ऊंची छवि की मोहताज नहीं होती है. अपने लक्ष्य के प्रति अगाढ़ मेहनत व दृढ़ इच्छाशक्ति से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. अपनी मेहनत व लगन से सांकड़ा गांव की राजपूत घर की बहू ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, जिसके प्रतिभा के बखान आज सीमावर्ती जिलो में हो रहे है.


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दरअसल, सांकड़ा गांव के मूल निवासी देरावरसिंह राठौड़ की पत्नी डॉ प्रियंका कंवर का चयन डॉक्टर पद पर हुआ. प्रियंका ने हाल ही में MBBS की डिग्री पूरी की. पति देरावरसिंह वर्तमान में राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) में कार्यरत है. एक समय था जब राजपूत समाज के साथ साथ अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अपनी बेटियों को घर की चूल्हा-चौखट या घूंघट प्रथा तक ही रखते थे.


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वहीं, कुछ प्राचीन सामाजिक कुरूतियों के कारण बेटी के जन्म को भी अभिशाप माना जाता था. लेकिन आज प्रियंका ने जो मुकाम हासिल किया उससे पूरे गांव व जैसलमेर जिले को गर्व है. ऐसा मुकाम हासिल करने वाली प्रियंका पोकरण विधानसभा की पहली महिला हैं.


प्रदेश के नामी जयनारायण विश्वविद्यालय जोधपुर के छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व राजपूत समाज में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले आनंदसिंह राठौड़ ने डॉ प्रिंयका कंवर के पति को बधाई देते हुए खुशी जाहिर की. साथ ही, क्षेत्र की राजपूत समाज की पहली महिला द्वारा एमबीबीएस डिग्री हासिल करने पर शुभकामनाएं दी है.


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इधर, डॉ प्रियंका ने बताया कि बचपन से ही सफेद लिबाज पहनकर मन में देश व मानव सेवा करने का सपना था जो आज साकार हुआ. उन्होंने बताया कि मानव सेवा करना किसी पुनीत कार्य से कम नहीं है. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने ससुर गिरधरसिंह राठौड़, अपने पिता जेतसिंह पड़िहार, माता व अपने इष्ट देव को दिया.


प्रियंका की शादी 4 वर्ष पूर्व सांकड़ा गांव में हुई. शादी के 4 वर्ष बाद यह सफलता हासिल की. प्रियंका आज महिलाओं के लिए सशक्तिकरण, बदलाव व विकास का पर्याय बनी हुई हैं. प्रियंका ने समाज की बेबुनियादी विचारों की दीवारों को गिराकर अपनी शक्ति की रोशनी से नई इबारत लिखी. उनसे प्रेरणा पाकर गांव की अनेक बेटियां इस मुकाम की और आगे बढ़ेगी. डॉ प्रियंका कि यह उपलब्धियां निश्चित तौर पर बेटियों की शिक्षा के प्रति रूचि को बढ़ावा देगी.


(इनपुट-शंकर दान)