बिलाड़ा: मां दुर्गा के नौ रूपों में अपार आस्था की मिसाल इन दिनों सलाखों के पीछे रह रहे पिचियाक कारागार के बंदियों में भी देखने को मिल रही है. इस जेल के बंदी हर सुबह-शाम माताजी की तस्वीर के आगे ज्योत जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, और समवेत स्वरों में सभी आरती भी करते हैं. इनमें अयूब-फ़जल, अब्दुल और अकरम भाई भी नवरात्रा के उपवास कर अपने किए का पश्चाताप कर रहे हैं. साथ ही मां भगवती से अरदास कि भविष्य में वह ऐसा कुछ ना करें कि यहां आना ना पड़े.


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पिचियाक स्थित उप कारागार कि तीनों बैरक में करीब 126 बंदी हैं. जिनमें मुस्लिम समाज के भी काफी बंदी गैर मियाद के हैं. यह सभी बंदी सामूहिक रूप से नवरात्रा लगने के साथ ही मां भगवती के सामने ज्योत करते हैं, बालोतरा का ओमप्रकाश दुर्गा सप्तशती का पाठ सभी को सुनाता है. आरती शुरू करता है जिसके साथ अयूब फजल, अब्दुल जब्बार, अकरम भाई और अन्य मुस्लिम बंदी भी आरती गाते हैं.


जेल प्रशासन की ओर से भजन गाने वाले बंदियों को हारमोनियम और ढोलक मजीरे आदि भी दे रखे हैं, जिनकी आवाज के साथ माताजी का जगराता भी धूमधाम से करते हैं. जेल प्रशासन बंदियों की इस धार्मिक दिनचर्या में न केवल सहयोग कर रहे हैं, बल्कि आस्था की ज्योत के लिए हर सामग्री भी उपलब्ध करवा रहे हैं.


आस्था ने तोड़ी मजहबी दीवार
बाड़मेर जिले के रहने वाले अब्दुल फजल ने जेल प्रशासन को नवरात्रा आने से पहले अपनी इच्छा बताई थी कि वह नवरात्र का व्रत रखेगा, उसके मन की बात डिप्टी जेलर हेमंत भारद्वाज ने स्वीकार करने के साथ ही अन्य सभी बंदियों से भी राय ली कि कौन-कौन नवरात्रि के उपवास रखेगा. उन्होंने अपने सहयोगी साथी हेड कांस्टेबल महावीरसिंह राजपुरोहित, रामअवतार, पुखराज, लूणाराम, पप्पूराम आदि को यह जिम्मेदारी सौंपी की जो भी बंदी नवरात्रा के 9 दिनों तक उपवास, आराधना, ज्योत आदि करें उसके लिए सभी प्रकार की सामग्री उपलब्ध करवाएं और जगराता के लिए उन्हें हारमोनियम ढोलक और मजीरे तक उपलब्ध करवाएं.


पूजन सामग्री, फलाहार व्यवस्था जेल अधिकारी की
उप कारागार के डिप्टी जेलर हेमंत भारद्वाज बताते हैं कि बंदियों को पूजन सामग्री के अलावा फलाहार की व्यवस्था भी की गई है. दूध, नींबू, पानी, फल की व्यवस्था के अलावा सुरक्षा चौकसी को भी ध्यान में रखते हुए बैरक जिम्मेदार सिपाहियों को अलर्ट मोड पर रखा है. सीसी कैमरे से आंतरिक और बाहरी परिसर की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है.


अपराध से होने लगी घृणा और पश्चाताप भी
इस जेल में काफी संख्या में बंदी गैर मियादी हैं, जिन्हें अब तक उनके अपराध की सजा नहीं सुनाई गई है. कई बंदी अपने किए हुए अपराध को लेकर पश्चाताप करते हैं. पाली जिले का एक बंदी श्रवण बताता है उसने फिरौती के लिए किसी को अगवा कर लिया था, लेकिन उसे ना तो फिरौती मिली और यहां जेल आ पहुंचा. 


उसे अपने किए पर भारी अफसोस है. पश्चाताप भी है. अवैध हथियार का कारोबार करने वाले एक स्लीपर सेल को भी अब अपने किए पर शर्मिंदगी हो रही है, बताता है चंद पैसों के लिए वह अवैध हथियार पहुंचाने जा रहा था. पुलिस ने पकड़ लिया. चोरी, नकबजनी, हत्या जैसे कई अपराधों को लेकर यहां बंदियों ने अपनी वेदना के साथ पश्चाताप के आंसू बहाते हुए बताया कि अब तो भगवती से यही प्रार्थना है कि जो किया है उसकी सजा मिले और भविष्य में ऐसा कुछ न करें कि उन्हें लोग अपराधी कहें.


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