Rajasthan News: जोधपुर शहर के मंडोर क्षेत्र में धुलंडी के दिन शाम को माली समाज की रावजी की गैर निकली. रावजी की गैर प्राचीन काल से चली आ रही माली समाज की परंपरा है. माली समाज के लोगों में गैर के प्रति काफी उत्साह नजर आ रहा था. गैर मंडावता बेरा मंदिर से मंडावता बेरा की गैर रवाना होकर गैर खोखरिया बेरा पहुंची. वहां की गैर को साथ लेकर फिर मंडावता चौराहा होते हुए भिंयाली बेरा, गोपी का बेरा के अंदर से फूलबाग नदी होते हुए फतेहबाग संतोकजी के बेरे पर पहुंची. 


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समाज के लोगों में देखने को मिला अपार उत्साह 
फतेहबाग संतोकजी के बेरे पर राव चुनने के बाद गैर आमली बेरा होते हुए लाला बेरा, मंडोर रेलवे ओवरब्रिज के नीचे से भलावता बेरा होते हुए मंडोर चौराहे होते हुए मंडोर गार्डन में पहुंची. यहां से मंडोर उद्यान में बने राव कुंड पहुंची और इसमें आठ बेरों की गैर सम्मिलित हुई. इस दौरान गैर को लेकर माली समाज के लोगों में अपार उत्साह देखने को मिला. रावजी की गैर को लेकर पुलिस व प्रशासन के स्तर पर सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए थे. 


मंडावता बेरा के लोगों की ही होती है सुरक्षा की जिम्मेदारी
राव को चुनने के बाद उसको सही सलामत रूप से मंडोर उद्यान के राव कुंड तक पहुंचाने में सुरक्षा की जिम्मेदारी मंडावता बेरा के लोगों की ही होती है. इन लोगों के हाथों में लाठियां व हॉकियां होती हैं जो राव को एक घेरा बनाकर उसे आगे ले जाते रहते हैं. मंडोर उद्यान में राव कुंड पहुंचते ही सबसे पहले राव उस कुंड में डुबकी लगाते हैं. इसके बाद अन्य युवक स्नान करते हैं. जैसे ही राव कुंड में स्नान करने के लिए उतरता है, मंडावता बेरे वालों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी पूरी हो जाती है. यह सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक परंपरा और एकता का संदेश देता है. 


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