National Birds Day:  एक जमाना था जब देशी और विदेशी सैलानी केवल जोधपुर के 550 साल पुराने किले से लेकर राजस्थान की संस्कृति और स्थापत्य कला को निहारने के लिए जोधपुर आते थे. मगर हर इंसान के मन में एक ऐसी भावना होती है, जो हमेशा बेजुबान प्राणियों के लिए होती है, चाहे वह घर में हो या कहीं भी बाहर. अचानक किसी भी पक्षी को देखकर मन में दया और करूणा की भावना आती ही है लेकिन, प्रवासी पक्षी कुरजां ने जब से फलौदी के खींचन में  कदम रखा है, हर किसी को अपनी ओर खींचने लगी है. इस पंछी को देखने के लिए स्थानीय लोगों से लेकर देशी विदेशी सैलानी को पर्यटन स्थल के रूप में देखा जा रहा है. 


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मतीरे की फसल है पसंसदीदा भोजन
जिला प्रशासन और स्थानीय वन्यजीव प्रेमियों के सहयोग से कुरजां के लिए एक विशेष रूप से चुग्गा गृह बनाया गया है, जिसके चारों ओर तारबंदी की गई है. वहां प्रतिदिन सुबह को कुरजां हजारों की संख्या में पहुंचती है और दाना चुगती है, उसके बाद खींचन के ही छोटे छोटे तीन अलग-अलग सरोवरों पर जाकर पानी पीती है. इन सभी दृश्यों को देशी और विदेशी सैलानी न केवल देखते हैं बल्कि कैमरे में कैद भी कर लेते हैं.  गौरतलब है कि इन पक्षियों का मुख्य भोजन मोतिया घास होता है. पानी के पास पैदा होने वाले कीड़े मकौड़े खाकर कुरजां अपना पेट भरती है.  मतीरे की फसल कुरजां का पसंदीदा भोजन है. 


फलौदी कस्बे के खींचन में पर्यटकों की आवक बढ़ने के साथ अब पर्यटन सीजन में स्थानीय लोगों ने गेस्ट हाउस से लेकर पेइंग गेस्ट को रूकवाने के अलावा फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और कुरजां के बारे में देशी और विदेशी सैलानियों को जानकारी देने के लिए कुरजां गाइड बॉय के रूप में जहां रोजगार पाने लगे हैं, वहीं खींचन में पर्यटकों की आवक को देखते हुए अलग-अलग तरह के प्रतिष्ठान भी खुलने लगे हैं."