पॉलीथिन की थैलियां बन रही है परेशानी का सबब, पर्यावरण को भी पहुंच रहा काफी नुकसान
1 जुलाई से प्रदेश भर में लगे पॉलीथीन बैन के बावजूद जोधपुर के तिंवरी इलाके में इनका धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है. जिसके कारण ना केवल पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है,
osian:1 जुलाई से प्रदेश भर में लगे पॉलीथीन बैन के बावजूद जोधपुर के तिंवरी इलाके में इनका धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है. जिसके कारण ना केवल पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है, बल्कि पशुधन की की भी हानी हो रही है. बेसहारा पशुधन खाने-पीने की सामग्री के साथ इनका सेवन कर लेते है. इससे पशुओं में बीमारियां हो रही है.
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बता दें कि, सिंगल टाइम यूज प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग पर सरकार ने एक जुलाई से पूर्ण रूप से रोक लगा दी है, इसके बावजूद बेरोकटोक बिक्री से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, सफाई व्यवस्था चरमराने में भी इसका बड़ा हाथ है. इससे पर्यावरण को भी काफी नुकसान हो रहा है. क्षेत्र के गांवों में भी पॉलीथिन की थैलियों का प्रचलन जोरों पर है.
बावजूद इसके उपयोग पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. कस्बे में घूमने वाले बेसहारा पशुओं को इससे खतरा है. लोग घरों में बचने वाली झूठन सामग्री को इसमें डालकर फेंक देते हैं. इसे पशु खा लेते हैं. पशुओं के पेट में जाकर यह पॉलीथिन की थैलियां उनकी पाचन शक्ति के प्रभावित करती है. जिससे पशुधन को बीमारियां हो रही है. विशेषकर गोधन के लिए यह कैरी बैग मौत का सामान बन रहा है.
आवारा पशुओं की भरमार
जहां एख तरफ कस्बें में पॉलीथीन की वजह से सफाई व्यवस्था चरमराने लगी है , वही कस्बे में आवारा पशुओं की भी भरमार के कारण लोग परेशान है. ये पशुधन भगवान भरोसे होने से उनको खान-पीने को कुछ नहीं मिलता है. भूखा पशुधन कचरे में मुंह मारता है और वहां खाने के साथ पॉलीथिन की थैलियां भी उनके पेट में जा रही है.
सख्ती से लागू हो प्रतिबंध
कैरी बैग पर प्रतिबंध सख्ती से लागू होना चाहिए. इससे गोवंश को खतरा पैदा हो रहा है. प्रशासन सख्ती दिखाए तभी इस पर लगाम लग सकती है. समाजसेवी मोतीसिंह राजपुरोहित का कहना है कि, पॉलीथिन की थैलियों के उपयोग पर रोक लगनी चाहिए. सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर रखा है. बावजूद इसके बाजार में इसका धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है.
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