Ram Mandir Pran Pratishtha: जोधपुर का वो परिवार जिनसे राम मंदिर के लिए दी थी जान,संघर्ष की कहानी जानकर आ जाएंगे आंसू
Jodhpur news: जीवन पुष्प चढ़ा चरणों पर, मांगे मातृभूमि से यह वर. तेरा वैभव अमर रहे मॉ, हम दिन चार रहें ना रहें. ये शहादत कि वो पंक्तिया है जो शहीदों के जीवन को धन्य कर देती है.रामलला के लिए अमर शहीद हुए सेठाराम परिहार के नाम से सर्किल बना हुआ है .
Jodhpur news: जीवन पुष्प चढ़ा चरणों पर, मांगे मातृभूमि से यह वर. तेरा वैभव अमर रहे मॉ, हम दिन चार रहें ना रहें. ये शहादत कि वो पंक्तिया है जो शहीदों के जीवन को धन्य कर देती है. ऐसी धरा मारवाड़ के जोधपुर की जहां से दो अमर शहीदों ने 02 नवम्बर 1990 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रामलला के कारसेवक रूप में बलिदान देकर ना केवल अपने आप को बल्कि पूरे जोधपुर को धन्य कर गये है. जोधपुर की धरा से कार सेवक के रूप में दो जनों ने अपना जीवन रामलला के मंदिर निर्माण की उमंग को लेकर संघर्ष करते हुए पुलिस की दमनकारी नीति के आगे झुकने की बजाय शहीदों में दर्ज कराया है.
जिन मे से एक है मथानिया के सेठाराम परिहार व दूसरे थे जोधपुर के प्रो महेन्द्रनाथ अरोड़ा.अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचे को गिराने के लिए जोधपुर कई कार सेवक पहुचे थे. लेकिन जो शहीद हो गए उनके परिवारों को अब रामलला मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन के लिए आमंत्रण भेजा है. जब हमने जोधपुर के मथानिया गांव पहुचें तो यहा का मंजर ही अलग था. रामलला के लिए अमर शहीद हुए सेठाराम परिहार के नाम से सर्किल बना हुआ है .
तो वही गांव के पास ही ग्रामीणों ने मिलकर राम मंदिर का भी निर्माण किया और सेठाराम परिहार की याद में उनकी समाधि स्थल भी बनाया. जिसके पास ना केवल सेठाराम परिहार बल्कि प्रो महेन्द्र नाथ अरोड़ा की प्रतिमा लगाकर आज भी पुष्पांजली अर्पित की जाती है. इन अमर शहीदों के साथ कार सेवक के रूप में उस दौरान जो साथ गए थे.
उनमें कमलदान चारण व भंवर भारती ने उसे समय के मंजर को बया किया तो उनके चेहरे पर वो खौफ भी साफ दिख रहा था तो अपने साथियों की याद में आंसू भी झलक रहे थे. अयोध्या में उस समय जो मंजर था, उसे याद करते ही उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. उन्होने बताया कि अयोध्या पहुंचते ही पुलिसकर्मियों ने हमें घेर लिया और कहा- आपका काम तो हो गया, अब आप वापस चले जाओ... कारसेवा तो हो गई. लेकिन, हम लोगों ने तय किया था कि यहां जो माहौल है, उसमें रहेंगे.
सरयू में स्नान कर एक बार रामलला के दर्शन जरूर करेंगे. कमलदान चारा ,भंवर भारती, सेठाराम परिहार, एमएन अरोड़ा, कोठारी बंधु सहित बड़ी संख्या में कारसेवक थे. उसके बाद का मंजर तो इतना भयावह था कि हमारे पास सेठाराम परिहार,प्रो महेन्द्र नाथ अरोड़ा सहित पांच साथियों की पार्थिव देह थी और पूरी रात बैठे रहे. ऐसे मंजर के गवाह रहे है आज भी वो मंजर ऑखों के सामने आता है तो ऑखें नम हो जाती है लेकिन आज खुशी है कि आखिरकार संघर्ष रंग लाया और राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है तो खुशी बया नही कर पा रहे है.
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