August 16 Amavasya of Adhik Maas 2023 : अधिकमास को मलमास भी कहा जाता है. अधिक मास में मंगल कार्यों की अपेक्षा विशेष व्रत एवं पुण्य कारक कृतियां की जाती हैं. इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. ऐसे में जानेगें कि क्यों है अधिक मास की अमावस्या का दिन महत्वपूर्ण. जानिए क्या करें इस दिन. 


अधिक मास की अमावस्या (16 अगस्‍त दिन बुधवार) 


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हिंदू धर्म में अधिकमास के महीने में पूजा-पाठ, जप-तप और दान करना बहुत महत्वपूर्ण होता है. अधिकमास  हर तीन साल में एक बार लगता है और इस 30 दिन की अवधि में पड़ने वाली अमावस्‍या, अधिकमास की अमावस्‍या कहलाती है. इस बार अधिकमास की अमावस्‍या 16 अगस्‍त दिन वुधवार को पड़ रही है. 16 अगस्त अधिक मास की सबसे बड़ी अमावस्या है. इस दिन भूल से भी न करें कुछ गलतियां वर्ना धन,सम्पत्ति,स्वास्थ्य,समृद्धि सब चली जायेगी. वहीं कुछ ऐसे उपाय कर आप कई जन्मों के पुण्य के कमा सकते हैं और रातों रात  आपकी किस्मत के सितारे चमक सकते हैं. 


रातों रात चमकेगी किस्मत


इस साल 2023 में अधिकमास की शुरुआत 18 जुलाई से हो रही है और 16 अगस्त दिन वुधवार को यह समाप्त हो जाएगा. इस मास में अगर कोई व्यक्ति विधि विधान से भगवान गणेश के साथ श्री हरि विष्णु की पूजा अर्चना करता है, तो भगवान विष्णु के आशीर्वाद से उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे पुण्य प्राप्त होता है.


करें ये उपाय


सावन अधिक मास की अमावस्या पर किए गए शुभ कार्यों का पुण्य जीवन भर मिलता है. इस दिन बुधवार होने से इस पर्व का महत्व और अधिक बढ़ गया है. इस दिन की शुरुआत गणेश जी की पूजा के साथ करें. 


इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद घर के मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं. इसके बाद उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराएं. गणेश जी का श्रृंगार करने के बाद उन्हें पाले कनेल के फूल, जनेऊ, दूर्वा, चंदन के साथ लड्डू चढ़ाएं.


कनेल फूल का चमत्कारिक उपाय


गणेश जी को लड्डू और मोदक का भोग लगाएं. धूप-दीप जलाएं और आरती करें. पूजा में उनके मंत्र 'ऊँ गं गणपतयै नम:' का जाप करें. इसके बाद भगवान शिव और देवी पार्वती का अभिषेक करें. शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें. जल चढ़ाने के बाद दूध चढ़ाएं. इसके बाद फिर से जल चढ़ाएं. 


सावन की अधिकमास की अमावस्या पर शिवलिंग पर बिल्व पत्र, कनेल का फूल, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब और अर्पित करें. इसके बाद चंदन का तिलक लगाएं.  माता पार्वती का महिलाएं श्रृंगार करें और भगवान को मिठाई को भोग लगाएं. वहीं पुरुष माता के चरणों में फूल अर्पित करें.


अमावस्या पर भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी की भी विधिवत पूजा करें.  मां लक्ष्मी जी को लाल चुनरी ओढ़ाएं. विष्णु जी को पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें. इस दिन ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय और कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करना शुभ होता है. इस दिन दान करने का विशेष महत्व होता है.


पितरों का करें ध्यान


अमावस्या पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए. इस दिन पितरों का ध्यान करना चाहिए. धूप देने बाद गाय, कुत्ते और कौओं के लिए घर के बाहर खाना रखें. चींटियों के लिए घर के बाहर चीनी डालें. अधिक मास में ग्रंथों का पाठ करने का विशेष महत्व है.


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16 अगस्‍त को अधिक मास खत्म हो जाएगा. इस महीने की अंतिम तिथि पर विष्णु पुराण, शिव पुराण, रामायण आदि ग्रंथों का पाठ करना चाहिए. 


पूजा-पाठ, दान-पुण्य और ग्रंथों का पाठ करने के बाद जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं. अनाज, जूते-चप्पल, कपड़े और यथासंभव धन का दान करें. अब ठंड का समय शुरू होगा तो कंबल का दान भी करें. गौशाला में गायों की देखरेख के लिए दान-पुण्य करें. सोए हुए भाग्य जागेगा.