Havan Rules : हिंदू धर्म में हवन का विशेष महत्व है. मान्यता है कि हवन के समय किया गया मंत्रोच्चारण और अर्पित सामग्री सीधे प्रभु के पास पहुंचती है और भक्त की प्रार्थना भी प्रभु के चरणों में पहुंच जाती है.


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ऐसे में हवन के दौरान किसी भी तरह की गलती नहीं करनी चाहिए, वरना हवन पूजा का फल नहीं मिलता है.  हमेशा हवन के दौरान इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.


हवन कुंड लोहे का ना रखें, बल्कि मिट्टी, ईंट से बने कुंड का प्रयोग करना चाहिए. शास्त्रो में मिट्टी से बने हवन कुंड को सबसे ज्यादा फलदायक बताया गया है. जिसमें किया गया हवन शुभफल देता है.


हवन कुंड का तिलक अनामिका उंगली से करना चाहिए. हवन कुंड में ही अग्नि देव की उपस्थिति होती है. ऐसे में देवी देवताओं को हमेशा अनामिका उंगली से ही तिलक लगाना चाहिए.


हवन करते समय जिस आसन पर आप बैठकर पूजा करते हैं, उसे कभी भी पैरों से ना खिसकाएं. सम्मान के साथ आसन को हाथ से बिछाना चाहिए और हवन समाप्ति के बाद उठा कर यदास्थान रखना चाहिए.


हवन में आहुति देने के लिए अनामिक उंगली में आम की कुशा धारण करनी चाहिए. अगर ऐसा ना कर सकें तो सोने की अगूंठी भी पहनी जा सकती है. इसे शुद्ध माना जाता है.


हवन सामग्री को हमेशा पत्तल, कांसा, पीतल या सामर्थ्य के अनुसार सोने या चांदी के बर्तन में ही रखा जाना चाहिए. ये धातु शुद्ध मानी जाती है और हवन में शुद्धता का विशेष महत्व होता है.


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हवन में अग्निकुंड में आम, पलाश या बेल की लड़की का प्रयोग किया जाए. ऐसा करने से हवन से शुभफल मिलता है. हवन सामग्री में सफेद तिल मिलाने से बचना चाहिए.


हवन सामग्री में काले तिल, कपूर, जौ, गुग्गल, बेल, गुड़, घी और मेवा प्रयोग करना शुभकर है. सफेद तिला का प्रयोग बिल्कुल ना करें.


हवन की आहुति देते समय अंगूठा, मध्यमा, अनामिका का प्रयोग करें, कनिष्ठा उंगुली का प्रयोग बिल्कुल ना करें.