Earthquake In Rajasthan : राजस्थान भूकंप से दहल गया है. 15 मिनट में तीन बार जोर दार झटकों के चलते जयपुर में लोग सड़कों पर आ गये. इंसान चाहे कितना भी आगे क्यों ना बढ़ गया हो लेकिन आज भी भूकंप को लेकर सटीक भविष्यवाणी नहीं हो पाती है. भूकंप मापी यंत्र , भूकंप सूचना केंद्र  जैसे कई साधनों के बाद भी भूकंप कब आ जाए इसका पता नहीं चलता. ऐसे में वैदिक ज्योतिष(Astrology) की मदद ली जा सकती है.  


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ज्योतिष भविष्य के गर्भ में क्या है, ये जानने का शास्त्र है. ज्योतिष की उपयोगिता मौसम विज्ञान की तरह स्पष्ट है. लेकिन मौसम विज्ञान आकाश में स्थित यंत्रों की सहायता से मात्र कुछ दिन आगे का ही अनुमान लगा पता है.


भारतीय ज्योतिष शास्त्र एक पंचांग मात्र से वर्षों आगे होने वाले ग्रहण, अमावस्या, पूर्णिमा समेत सभी खगोलीय घटना की गणना को करने  उनका पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है.


भारतीय ज्योतिष शास्त्रों में भूचाल की भविष्यवाणी के विषय में कई बिंदु दिए गए हैं, जिसके आधार पर भूचाल का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है. ग्रहण काल मे कभी भी भूकंप नहीं आता है.  लेकिन सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण काल के बाद आने वाली अमावस्या या पूर्णिमा के सप्ताह के भीतर भूकंप आने की संभावना अधिक रहती है.


भूकंप और समय 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दिन के 12:00 बजे से लेकर सूर्यास्त तक और मध्य रात्रि से सूर्योदय के दौरान भूकंप आने का खतरा हमेशा ज्यादा रहता है.
 
वक्री गृह और भूकंप का संबंध
मुख्य ग्रहों (शनि, बृहस्पति, मंगल) की चाल उल्टी अर्थात् वक्री होने की स्थिति मे भूकंप आने की संभावना ज्यादा रहती है. साथ ही गोचर में शनि, बृहस्पति, मंगल जैसे ग्रहों के साथ ही राहू और चंद्रमा की विशेष स्थिति होना जैसे मंगल व शनि का एक-दूसरे से विपरीत होना, क्रूर ग्रहों का परस्पर केंद्र मे होना, कुंडली का अष्टम भाव कूर ग्रहों की दृष्टि से पीड़ित होना, मंगल और शनि का षडाष्टक योग, मंगल - राहु षडाष्टक योग के साथ ही सूर्य व मंगल का षडष्टक योग जैसी गोचरीय स्थिति में भूकंप आने की आंशका रहती है.


माह और भूकंप का संबंध
सूर्य के दक्षिणायन होने के दौरान अर्थात् दिसम्बर और जनवरी में और सूर्य के उत्तरायण होने के दौरान अर्थात् मई और जून के महीनों में भूकंप आते हैं.
 
हैरानी की बात ये है कि जिन प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी जुटाने के लिए दुनिया भर के विशेषज्ञ जी जान से लगे हैं, उन्हें हमारे आस-पास पाए जाने वाले छोटे-छोटे जानवर, कीड़े-मकोड़े अपने संवेदों के द्वारा समय से पहले जान लेते हैं, महसूस कर चुके होते हैं. अब तो वैज्ञानिक भी इन जीव-जंतुओं पर शोध कर उनसे आपदा संबंधी जानकारियां जुटाने में मदद लेने की कोशिश में हैं.